रेल चालकों को 10 किमी दूर से दिख जाएगा सिग्नल
रेल इंजन के केबिन से ही सिग्नल देखने के उपकरण लगाने की योजना पर कार्य चल रहा है

चालक केबिन में लगेंगे अत्याधुनिक उपकरण,रेल मंत्रालय ने दी मंजूरी, ओवरशूट का खतरा टलेगा
बिलासपुर। रेल इंजन के केबिन से ही सिग्नल देखने के उपकरण लगाने की योजना पर कार्य चल रहा है। उपकरण लग जाने के बाद ट्रेन चालक सिग्नल पोल से दस किलोमीटर पहले सिग्नल को इंजन के केबिन में बैठे-बैठे देख सकेंगे। ट्रेन ओवरशूट मामले को लेकर रेलवे बोर्ड में कई महीनों से कार्य कर रहा है। कोलकाता के मेट्रो के इंजन की केबिन में ही सिग्नल देखने की सुविधा शुरू हो चुकी है।
ट्रेन चालकों को सिग्नल देखने में आने वाली समस्या के कारण कई बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। सिग्नल प्रणाली के दम पर ट्रेन के पहिया चलते हैं। सिग्नल प्रणाली ही ट्रेनों को सही दिशा में चलाने का कार्य कराती है। कुछ महीनों पहले दाधापारा के सिग्नल को एक्सप्रेस ट्रेन द्वारा ओवरशूट करने के मामले में चालक, सह चालक को निलंबित किया गया था। घने कोहरे के कारण चालकों को सिग्नल देखने में बड़ी समस्या होती है। उत्तर रेलवे की तरह घने कोहरे से चालक अपने अनुभव से ट्रेन को चलाते हैं। अब रेलवे बार्ड सिग्नल प्रणाली को आधुनिक करने अरबों की राशि खर्च करेगा। सिग्नल प्रणाली को ऑनलाइन किया जा रहा है। इंजन के केबिन में सिग्नल को देखने का उपकरण लग जाने पर चालक को सिग्नल देखने में बड़ी आसानी होगी। ट्रेन दुर्घटना ग्रस्त होने से भी बचेगी।
घटनाओं पर रेलवे गंभीर
टे्रन सिग्नल ओवरशूट के मामले को लेकर रेलवे बोर्ड काफी गंभीर हो चुका है। क्योंकि जब रेलवे प्रशासन ने ओवरशूट के मामले ड्राइवर सहायक ड्राइवर से जवाब मांगा गया तो उन्होंने बताया कि सिग्नल पोल ठीक से नहीं दिखने के कारण सिग्नल पोल से गाड़ी आगे निकल गई मगर रेलवे प्रशासन ने चालक और सहायक चालक को निलंबित कर दिया। रेलवे बोर्ड कोलकाता के मेट्रो की तर्ज पर कार्य कर रहा है। ट्रेन के सभी इंजनों की केबिन में सिग्नल को देखने उपकरण लगाए जाएंगे। कुछ महीनो के बाद देश के सभी रेलवे जोनों को ट्रेनों में उपकरण लगाने का निर्देश पहुंच जाएगा।
बीते वर्ष ज्यादा ट्रेन हादसे
सन् 2017 में ट्रेन दुर्घटनाओं की संख्या अधिक रही है। अधिकांश दुर्घटनाएं सिग्नल प्रणाली के कारण हुई। एक सर्वे से पता चला है कि चालक को सिग्नल पोल रात में दिखाई नहीं देता है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार घने कोहरे के कारण और सामान्य दिनों में सिग्नल पोल देखने में चालकों को परेशानी हो रही है। इसकी शिकायत रेलचालक संघ ने रेल प्रशासन से की थी। लेकिन रेल प्रशासन इस शिकायत को लेकर गंभीर नही था। जिसके कारण ट्रेन सिग्नल ओवरशूट की घटनाएं हो रही थी। रेलवे बोर्ड के सदस्यों ने लगातार इस पर विचार विमर्श किया था। बैठक में निष्कर्ष निकला के मेट्रो की तर्ज पर इंजन के केबिन से सिग्नल देखने के उपकरण लगाए जाएं।
रेल मंत्रालय से अनुमति मिली
रेलवे बोर्ड ने सभी जोनों के महाप्रबंधकों से सलाह मांगी थी अब रेल मंत्रालय ने इसकी अनुमति दे दी है। रेलवे बोर्ड इंजन के केबिन में सिग्नल व्यवस्था के लिए उपकरण लगाने पर कार्य शुरू कर दिया है। उत्तर रेलवे में घने कोहरे के कारण चालकों को सिग्नल देखने में काफी परेशान होती है जिसके कारण चालक ट्रेनों केा खड़ी कर देते हैं। घने कोहरे के कारण ट्रेनें अभी घण्टों लेट चल रही है। अब सिग्नल प्रणाली को ऑनलाइन करने का कार्य चल रहा है। ट्रेन सिग्नल प्रणाली के कारण सही दिशा में टे्रेनें चलती है। सिग्नल प्रणाली ट्रेनों के यातायात को सुचारू रूप से संचालित करता है।


