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कांग्रेस पैनल से मिलने के बाद सिद्धू ने कहा, जनता की शक्ति लोगों को लौटानी चाहिए

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर पर 2015 के गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले सहित कई मुद्दों पर निशाना साधने वाले असंतुष्ट कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब के लिए गठित कांग्रेस पैनल से मुलाकात की

कांग्रेस पैनल से मिलने के बाद सिद्धू ने कहा, जनता की शक्ति लोगों को लौटानी चाहिए
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नई दिल्ली। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर 2015 के गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले सहित कई मुद्दों पर निशाना साधने वाले असंतुष्ट कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को पंजाब के लिए गठित कांग्रेस पैनल से मुलाकात की और अपना पक्ष रखा।

बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, मैं यहां पार्टी आलाकमान के आह्रान पर जमीनी स्तर के लोगों की आवाज उठाने के लिए आया हूं। लोकतांत्रिक सत्ता पर मेरा स्टैंड वही है कि लोगों की शक्ति लोगों को वापस करनी चाहिए।

सिद्धू ने कहा कि पंजाब के सच और हक की आवाज मैंने हाई कमान को बुलंद आवाज में बताई है। पंजाब को जीताना है और हर पंजाब विरोधी ताकत को हराना है।

सिद्धू ने बुलंद आवाज में कहा, जीतेगा पंजाब, जीतेगी पंजाबियत जीतेगा हर पंजाबी।

कांग्रेस के राज्य प्रमुख सुनील जाखड़ ने सोमवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा गठित समिति और मल्लिकार्जुन खड़गे, जे. पी. अग्रवाल और राज्य के प्रभारी महासचिव हरीश रावत से मुलाकात की थी।

जाखड़ के अलावा, राज्य के मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा, चरणजीत चन्नी, अरुणा चौधरी, ब्रह्म मोहिंद्रा, ओ. पी. सोनी, मनप्रीत बादल, तृप्त बाजवा, राणा सोढ़ी और सुखजिंदर रंधावा ने भी समिति से मुलाकात की।

समिति बुधवार को परामर्श जारी रखेगी।

पंजाब की सियासत में जारी उठापटक के बीच सूत्रों ने संकेत दिया कि मुख्यमंत्री को बदलने को लेकर कोई बात नहीं है, बल्कि महत्वपूर्ण नेताओं की बहाली या पुनरूद्धार की बात है। कांग्रेस आलाकमान मुख्यमंत्री को बदलने का जोखिम नहीं उठाएगा, क्योंकि अकाली दल खासकर बादल परिवार का सामना करने के लिए उनके कद का फिलहाल कोई नहीं है। कांग्रेस को बीच का रास्ता निकालना होगा, क्योंकि 20 विधायक अमरिंदर सिंह की कार्यशैली से नाखुश बताए जा रहे हैं।

इनमें से अधिकांश विधायकों ने सीएम द्वारा मनमानी कार्रवाई के बारे में शिकायत की है, लेकिन प्रमुख चिंता 2015 में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और पुलिस फायरिंग के दोषियों पर मामला दर्ज करने में सरकार की अक्षमता है। यह तब की घटना है, जब अकाली दल-भाजपा की सरकार थी। हालांकि कार्रवाई के लिए पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में भी वादा किया गया था।


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