Top
Begin typing your search above and press return to search.

एक साल की जेल की सजा पर सिद्धू ने कहा- कानून का सम्मान करूंगा

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1988 में रोड रेज के एक मामले में एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद, पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने गुरुवार को कहा कि वह 'कानून का सम्मान करेंगे।'

एक साल की जेल की सजा पर सिद्धू ने कहा- कानून का सम्मान करूंगा
X

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा 1988 में रोड रेज (Road Rage) के एक मामले में एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद, पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhhu) ने गुरुवार को कहा कि वह 'कानून का सम्मान करेंगे।' सिद्धू ने एक ट्वीट में कहा, "कानून का सम्मान करूंगा।"

फैसला तब आया, जब सिद्धू हाथी पर सवार होकर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ अपने गृहनगर पटियाला में मूल्य वृद्धि के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, जहां 1988 में रोड रेज की घटना हुई थी।

शीर्ष अदालत ने मार्च में फैसला सुरक्षित रखा था, जिसने अब अपने 2018 के फैसले को पलट दिया है। तब अदालत ने मामले में सिद्धू के लिए सजा को कम कर दिया था। इस घटना में मारे गए गुरनाम सिंह के परिवार द्वारा एक समीक्षा याचिका दायर की गई थी, जिस पर अब फैसला आया है।

27 दिसंबर, 1988 को क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू अपने एक दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला में शेरावाला गेट क्रॉसिंग के पास 65 वर्षीय गुरनाम सिंह के साथ उलझ गए थे। सिद्धू ने कथित तौर पर बुजुर्ग पर हमला बोला, जिससे वह अस्पताल में भर्ती हो गए और बाद में उनकी मौत हो गई।

पुलिस ने बताया कि सिद्धू वारदात को अंजाम देने के बाद मौके से फरार हो गए थे। गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

सिद्धू ने कहा कि गुरनाम सिंह की मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी, इसलिए नहीं कि उन्हें सिर में मुक्का मारा गया था।

सिद्धू को सितंबर 1999 में एक निचली अदालत ने हत्या के आरोपों से बरी कर दिया था। हालांकि, पंजाब उच्च न्यायालय ने फैसले को उलट दिया और सिद्धू और सह-अभियुक्तों को दिसंबर 2006 में गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया। इसने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।

सिद्धू और संधू दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जिसने 2007 में उनकी सजा पर रोक लगा दी।

2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गैर इरादतन हत्या से बरी कर दिया और एक रोड रेज मामले में चोट पहुंचाने का दोषी ठहराया।

फरवरी 2022 में, शीर्ष अदालत ने अपने 15 मई, 2018 के फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की, जहां उसने सिद्धू को मात्र 1,000 रुपये के जुर्माने के साथ छोड़ दिया था।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it