सिद्धारमैया ने भाजपा पर ‘लाशों पर राजनीति’ करने का लगाया आरोप
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ की घटना को लेकर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी द्वारा उनके इस्तीफे की मांग पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने मंगलवार को भाजपा पर ‘लाशों पर राजनीति’ करने तथा अतीत में इसी प्रकार की त्रासदियों के दौरान नैतिक जिम्मेदारी दिखाने में विफल रहने का भी आरोप लगाया

बेंगलुरु। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ की घटना को लेकर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी द्वारा उनके इस्तीफे की मांग पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने मंगलवार को भाजपा पर ‘लाशों पर राजनीति’ करने तथा अतीत में इसी प्रकार की त्रासदियों के दौरान नैतिक जिम्मेदारी दिखाने में विफल रहने का भी आरोप लगाया।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखे एक लंबे पोस्ट में सिद्धारमैया ने कहा, ‘’भगदड़ की घटना के लिए हमारा इस्तीफा मांगने से पहले, मैं कर्नाटक के भाजपा नेताओं से अपील करता हूं कि वे उन भाजपा मंत्रियों की सूची जारी करें, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान इसी तरह की घटनाएं होने पर इस्तीफा दिया था।‘’ भगदड़ को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने तत्काल एवं जिम्मेदाराना कार्रवाई की, जिसमें बेंगलुरू पुलिस आयुक्त जैसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित करना, राज्य खुफिया विभाग के प्रमुख का तबादला करना और उनके राजनीतिक सचिव को सेवा से बर्खास्त करना शामिल है।
सिद्धारमैया ने कहा कि इसके अलावा, घटना की गहन एवं निष्पक्ष जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश जॉन माइकल डी'कुन्हा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया गया। मुख्यमंत्री ने भाजपा के विरोध प्रदर्शन को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा, ‘’लाशों पर राजनीति करना भाजपा के लिए कोई नई बात नहीं है। दुर्घटना, हत्या या अत्याचार होते ही लाशों की तलाश में गिद्धों की तरह झपट्टा मारना उनके खून में है। कर्नाटक के लोगों ने इस पुरानी प्रथा को समझ लिया है, जब उनकी अपनी मेज पर हाथी मरा पड़ा हो, तब भी वे दूसरे के मेज पर मरी हुई मक्खी की ओर इशारा करते हैं।‘’
भाजपा नीत सरकारों के अंतर्गत हुई पिछली घटनाओं से तुलना करते हुए सिद्धारमैया ने याद दिलाया कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान लगभग 2,000 लोगों की मौत हुई थी, फिर भी तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आग्रह के बाद भी इस्तीफा नहीं दिया था। उन्होंने कहा, ‘’इस वर्ष अप्रैल में पहलगाम आतंकवादी हमले में 26 भारतीय मारे गए। हमने प्रधानमंत्री से इस्तीफ़ा देने के लिए नहीं कहा। उन्होंने नरसंहार पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की हमारी मांग भी स्वीकार नहीं की। प्रधानमंत्री पूरे देश में सिंदूर बांटने में व्यस्त हैं लेकिन उन्होंने अभी तक चार दोषियों की पहचान नहीं की है।‘’ उन्होंने सवाल किया कि इसकी जिम्मेदारी किसे लेनी चाहिए ‘’नेहरू, राहुल गांधी या नरेंद्र मोदी को?’’
उन्होंने कहा, ‘’मणिपुर में दो साल से चल रही हिंसा की ओर भी इशारा किया, जिसमें 100 से ज़्यादा लोग मारे गए, लेकिन भाजपा के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह उच्चतम न्यायालय के दबाव में इस्तीफ़ा देने से पहले 20 महीने तक सत्ता में रहे। अभी भी हिंसा जारी है। क्या केंद्रीय गृह मंत्री को जवाबदेह नहीं ठहराया जाना चाहिए?’’कांग्रेस नेता ने गुजरात में 2022 के मोरबी पुल ढहने की घटना, जिसमें 140 लोगों की मौत हुई और इस साल जनवरी में महाकुंभ मेले में भगदड़, जिसमें 30 लोगों की मौत हुई का भी उदाहरण दिया, जहां भाजपा की राज्य सरकारों ने न तो इस्तीफा दिया और न ही उचित जांच सुनिश्चित की।
सिद्धारमैया ने पूछा, ‘’इन उदाहरणों के बावजूद कर्नाटक में भाजपा हमारा इस्तीफा मांग रही है। किस नैतिक आधार पर?’’ मुख्यमंत्री ने दोहराया कि उनकी सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है और उन्होंने फिर पुष्टि किया कि न्यायिक आयोग के निष्कर्षों के आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सिद्धारमैया ने कहा, ‘’मैं भाजपा से आग्रह करता हूं कि वे इस तरह के सड़क पर तमाशा और विरोध प्रदर्शन करना छोड़ दें और इसके बजाय अपनी अंतरात्मा की आवाज पर काम करें।‘’


