सिया और गिलहरी
एक दिन, सिया को एक पेड़ के नीचे एक नन्ही गिलहरी मिली, जो बहुत घबराई हुई और घायल लग रही थी

- संजय सिंह चौहान
एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में सिया नाम की एक प्यारी और दयालु लड़की रहती थी। सिया को पेड़ों, फूलों, और छोटे जानवरों से बहुत लगाव था। वह अक्सर अपने घर के पास के बगीचे में खेला करती थी, जहाँ तरह-तरह के पक्षी और छोटे जानवर रहते थे।
एक दिन, सिया को एक पेड़ के नीचे एक नन्ही गिलहरी मिली, जो बहुत घबराई हुई और घायल लग रही थी। सिया को गिलहरी पर बहुत दया आई, और उसने तुरंत उसे अपनी गोद में उठा लिया। गिलहरी के पैर में चोट लगी थी और वह बहुत डरी हुई थी।
सिया ने गिलहरी को प्यार से सहलाया और कहा, 'डर मत, मैं तुम्हारी मदद करूंगी।' वह गिलहरी को घर ले आई और अपनी माँ से उसकी मदद करने को कहा। सिया की माँ ने गिलहरी के पैर पर हल्के से मरहम लगाया और उसे आराम करने के लिए एक छोटी सी टोकरी में बिछावन बना दिया।
सिया हर दिन गिलहरी की देखभाल करती, उसे प्यार से खाना खिलाती, और उसकी चोट ठीक होने का इंतजार करती। धीरे-धीरे गिलहरी का पैर ठीक हो गया और वह फिर से फुर्तीली हो गई। गिलहरी अब सिया के साथ खेलने लगी और दोनों के बीच एक अनोखी दोस्ती हो गई।
एक दिन, जब गिलहरी पूरी तरह से स्वस्थ हो गई, उसने सिया को अपने पेड़ पर बुलाया। सिया उत्सुकता से उसके पीछे-पीछे पेड़ तक गई। गिलहरी उसे उस पेड़ के सबसे ऊँचे हिस्से में ले गई, जहाँ उसने अपने दोस्तों से सिया का परिचय करवाया। वहाँ कई और गिलहरियाँ थीं, जो बहुत खुश दिख रही थीं।
गिलहरी ने सिया से कहा, 'तुमने मेरी मदद की, इसलिए मैं तुम्हें हमारे गुप्त बगीचे में लाना चाहती थी। यह हमारी दुनिया है, जहाँ हम खुशी से रहते हैं। तुम्हारी दया ने मेरी जान बचाई, और अब हम तुम्हारे सच्चे दोस्त हैं।'
सिया ने गिलहरियों से बहुत कुछ सीखा - पेड़ों की महत्ता, प्रकृति का आदर और छोटे-छोटे जीवों के प्रति दयालुता। उसने समझा कि जानवर भी हमारी तरह ही महसूस करते हैं और उनकी भी देखभाल करना जरूरी है। गिलहरियाँ अब हर रोज़ सिया से मिलने आतीं, और सिया भी उन्हें फल और मेवे खिलाती थी।
उप निरीक्षक इंदौर
मध्य प्रदेश।


