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श्याम बेनेगल ने सीबीएफसी के बर्ताव को लेकर चिंता जाहिर की

संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' की रिलीज में आ रही मुश्किलों के बीच दिग्गज फिल्मकार श्याम बेनेगल ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के बर्ताव को लेकर चिंता जाहिर की है। 

श्याम बेनेगल ने सीबीएफसी के बर्ताव को लेकर चिंता जाहिर की
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मुंबई। संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' की रिलीज में आ रही मुश्किलों के बीच दिग्गज फिल्मकार श्याम बेनेगल ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के बर्ताव को लेकर चिंता जाहिर की है।

सेंसर बोर्ड की कार्य प्रणाली में सुधार लाने संबंधी सुझाव के लिए एक समिति का नेतृत्व कर चुके फिल्मकार ने पैनल की कार्य प्रणाली की कड़ी निंदा की है।

बेनेगल ने कहा, "मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि 'पद्मावती' के मामले में सीबीएफसी अजीब तरीके से बर्ताव कर रहा है। अगर फिल्म के साथ डिस्क्लैमर नहीं जोड़ा गया है, तो इसे आसानी से सुधारा जा सकता है। फिल्म को वापस क्यों भेजा? यह फिर से बहुत संदेहास्पद मालूम पड़ता है।"

अपने समय में सामाजिक-सांस्कृतिक समानता पर अपनी फिल्मों को लेकर झंझटों का सामना कर चुके बेनेगल 'पद्मावती' को लेकर मचे विवाद पर हैरान हैं।

उन्होंने कहा कि फिल्म को देखे बिना वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। फिल्म को किसी ने नहीं देखा है, तो भी लोगों का झुंड इसका विरोध कर रहा है। क्या इसका कोई मतलब बनता है? फिल्मकार ने कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि फिल्म को देखे बिना देश भर में विरोध कैसे हो सकता है?

जाति व्यवस्था की बुराइयों पर केंद्रित 'अंकुर', 'मंथन' और 'निशांत' जैसी फिल्में बनाने वाले बेनेगल 'पद्मावती' के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों को वोट बैंक की राजनीति के तौर पर देखते हैं।

उन्होंने कहा कि यह राजपूतों का वोट पाने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि पूरे देश में राजपूत समुदाय एकजुट नहीं है। राजस्थान के राजपूतों की अलग मानसिकता और सांस्कृतिक झुकाव है। करणी सेना 'पद्मावती' को मुद्दा बनाकर देश भर के राजपूतों का समर्थन पाना चाहती है। बेनेगल ने कहा कि 'पद्मावती' की रिलीज के बाद ही कोई फैसला दिया जाए। पहले से टिप्पणी करने का कोई तुक नहीं है।


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