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CM Shivraj: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सम्मलेन में बोले शिवराज-मै मुख्य अतिथि नहीं, विद्यार्थी परिषद का ही सदस्य

शिवराज सिंह चौहान ने भाषण के दौरान वाकया सुनाया कि छात्र जीवन मे वे सूर्यकांत केलकर के सम्पर्क में आये।

CM Shivraj: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सम्मलेन में बोले शिवराज-मै मुख्य अतिथि नहीं, विद्यार्थी परिषद का ही सदस्य
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- गजेन्द्र इंगले

ग्वालियर: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का 55वां प्रांतीय सम्मेलन ग्वालियर में आयोजित किया जा रहा है। उद्घाटन कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। 11 नवम्बर से शुरू हुआ तीन दिवसीय प्रांत अधिवेशन तीन दिन चलेगा।

इस मौके पर शिवराज सिंह चौहान ने भाषण के दौरान वाकया सुनाया कि छात्र जीवन मे वे सूर्यकांत केलकर के सम्पर्क में आये। सूर्यकांत केलकर की डायरी में मेरा नाम था। दूसरे दिन सूर्यकांत जी गिरफ्तार हो गए तो पुलिस मेरे को पकड़ने मेरे कमरे पर आ गई। मेरे कमरे से आपातकाल आंदोलन की सामग्री पकड़ी गई। मुझे थाना हबीबगंज में ले जाया गया। मुझे नाथूराम सोनी ये सामग्री देते थे लेकिन मेने उनका नाम पुलिस को नहीं बताया। रात भर पुलिस थाने में रहा फिर मुझे पुलिस रिमांड पर ले गई। विद्यार्थी जीवन के इस घटना के कारण में जेल में 9 महीने रहा। विद्यार्थी परिषद के वह संस्कार और राष्ट्रवाद की भावना ही मुझे आज यहाँ तक लाई है।


मुख्यमंत्री ने विद्यार्थी को सम्बोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थी परिषद का एक ही उद्देश्य है राष्ट्र के लिए समर्पित लोग पैदा करना। हमारा हजारों साल पुराना इतिहास है , जब पश्चिम में कुछ नहीं था हमने तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय दिए। हमारे मूल्य व संस्कृति अद्भुत है। बचपन से हमे मंत्र पढ़ाया जाता है वसुदेव कुटुम्बकम। लोग कहते थे कि कश्मीर से धारा 370 हटी तो आग लग जायेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। आज कश्मीर, नागालैंड कहीं चले जाओ भारत माता की जय के नारे सुनाई देंगे। दुनियां के किसी भी देश मे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाते हैं तो भगवतगीता की प्रतियां बांटी जाती हैं। आज हमें गर्व होता है जब रूस के राष्ट्रपति पुतिन भारत के गीत गाते हैं और अमेरिका के बाइडेन भी कहते हैं हम भारत के दोस्त हैं।


स्कूली शिक्षा पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब मध्यप्रदेश में दूसरों की सरकार थी तो शिक्षा की बुरी हालत थी। गुरुजी को 5 सौ रुपये मिलते थे। पूरी शिक्षा व्यवस्था अधकचरी कर रखी थी। अब नई शिक्षा नीति आई है। उसे अक्षरशः लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। स्कूली शिक्षा में मध्यप्रदेश 5वे नम्बर पर आ गया है। नई शिक्षा नीति में पढ़ाई मात्र भाषा मे होगी। अंग्रेजी का हयूआ खत्म होगा। जब जापान में जापानी में पढ़ाई होती है तो हमारे यहाँ हिंदी में क्यों नहीं। अब नया आदेश निकलेगा कि सभी नाम हिंदी में लिखे जाएंगे। मध्यप्रदेश पहला राज्य है जहाँ मेडिकल व यांत्रिकी की पढ़ाई हिंदी में हो रही है। केवल धन के अभाव में बच्चों का भविष्य चौपट न हो जाये इसलिए मेधावी छात्र योजना चल रही है। ये बच्चे प्रदेश का भविष्य हैं इसलिए उनके भविष्य के लिए काम करना है। मुझे स्वामी विवेकानन्द की बात याद आती है कि तुम हाड़ मास के पुतले नहीं हो बल्कि ईश्वर के अंग हो, ऐसा कोई काम नहीं जो तुम नहीं कर सकते।


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