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बुलेट ट्रेन को भारत में पटरी पर उतारने की नींव रखेंगे शिंजो और मोदी

भारतीय रेल के इतिहास में अब शिंजो अबे और नरेंद्र मोदी 14 सितम्बर को अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे बुलेट ट्रेन को देश में पटरी पर 350 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ाने की सपने की नींव रखेंगे

बुलेट ट्रेन को भारत में पटरी पर उतारने की नींव रखेंगे शिंजो और मोदी
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अनिल सागर

नई दिल्ली। भारतीय रेल के इतिहास में अब जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितम्बर को अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे बुलेट ट्रेन को देश में पटरी पर 350 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ाने की सपने की नींव रखेंगे। अहमदाबाद से मुंबई की दूरी 2.58 घंटे तय होगी लेकिन लाइन पर करीबन 1.08 करोड़ खर्च आएगा। जापान लाइन की 81 फीसदी लागत वहन करेगा जो कि 0.1 प्रतिशत की दर ऋण के तौर पर 50 साल में अदा की जाएगी।

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सभी अटकलों को दरकिनार करते हुए माना कि पूर्ववर्ती सरकार ने यह मसौदा तय किया भले हो लेकिन भाजपा के घोषणा पत्र में भी हाई स्पीड ट्रेन चलाने का वादा दर्ज है जो अब पूरा होने जा रहा है।

उन्होंने तर्क दिया कि जापानी तकनीक आधुनिक है और देश में पटरी से उतर रही रेल को 160 साल पुरानी तकनीक पर चला रहे हैं अब आधुनिक तकनीक से चलाने की यह एक पहल है। क्योंकि जापान 50 साल से बिना किसी हादसे के रेलगाडिय़ां चला रहा है। श्री गोयल ने माना कि पुरानी तकनीक के चलते भारत पिछले चार दशक में पीछे रह गया। अब रेल के जरिये विकास और तरक्की पर बढ़ रहे हैं जिससे नई नौकरियां मिलेंगी, किसानों को उनके उत्पाद ले जाने में सुविधा होगी और भविष्य में भारत हाई स्पीड रेलगाडिय़ों का एक्सपोर्ट भी करेगा। उदाहरण दिया कि एलईडी में 87 प्रतिशत लागत कम हुई है इसी तरह बुलेट ट्रेन शुरू होने के बाद इसकी लागत में भी कमी आएगी। महाराष्ट्र, गुजरात के बीच 508 किलोमीटर लंबी इस लाइन पर 12 स्टेशन हैं और इसके स्टेशन व वडेादरा में प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण बुधवार को शुरू हो जाएगा जबकि लाइन का काम एक वर्ष में 825 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के बाद होगा।

लाइन का विरोध करने वालों पर बरसते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि मारुति सुजुकी कार का भी विरोध किया था लेकिन क्या आज कार मारूति के दोनों मॉडल के बिना ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की कल्पना कर सकते हैं। अब सकारात्मक सोच के युवा विश्वस्तरीय तकनीक चाहते हैं। पुरानी तकनीक को सुधारने पर भी रेलवे काम कर रही है लेकिन नई तकनीक आने से अधिक जिम्मेदारियां बढ़ेंगी।

टिकट पर उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा के मुताबिक ही टिकट होंगी लेकिन माना कि इसके बाद हवाई व सड़क यातायात पर दबाव घटेगा। इस लाइन का निर्माण 2022 तक पूरी कर लिया जाएगा और यदि वित्तीय सहायता मिलती है तो अन्य राज्यों में भी इसी तरह के बुलेट ट्रेन के कॉरीडेार बनाए जाएंगे। पीयूष गोयल ने हालंाकि श्राद में नई परियेाजना शुरू करने पर सभी अटकलों को विराम देते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामांकन दाखिल किया था तब भी कहा कि समय खराब है।


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