शिया सेंट्रल बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में समझौता प्रस्ताव दाखिल करेगी
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा है कि मंदिर-मस्जिद का समझौता प्रस्ताव आगामी पाँच दिसम्बर से पहले उच्चतम न्यायालय में दाखिल कर दिया जायेगा।

अयोध्या। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा है कि मंदिर-मस्जिद का समझौता प्रस्ताव आगामी पाँच दिसम्बर से पहले उच्चतम न्यायालय में दाखिल कर दिया जायेगा।
रिजवी ने कल शाम यहाँ ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि मंदिर-मस्जिद का समझौता प्रस्ताव आगामी पांच दिसम्बर से पहले उच्चतम न्यायालय में दाखिल कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि, हनुमानगढ़ी के महंत धर्मदास, श्रीरामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य एवं दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेश दास, महंत रामकुमार दास के साथ मंदिर-मस्जिद पर एक समझौता प्रस्ताव पारित किया गया। विवादित श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिये। विवादित स्थल से हटकर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में मस्जिद का निर्माण होना चाहिये। जिसका नाम मस्जिद-ए-अमन रखा जाय।
उन्होंने बताया कि इसके पूर्व वह श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं मणिराम दास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास समेत अयोध्या के कई संत-धर्माचार्यों से इस सिलसिले में भेंट भी कर चुके हैं। सभी ने समझौता प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया। इस प्रस्ताव को कानूनविद को दिखाने के बाद पाँच दिसम्बर से पहले सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया जायेगा।
शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि इस विवाद में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का कोई लेना-देना नहीं है। इसलिये आपसी समझौते में कोई रुचि ये लोग नहीं रख रहे हैं। ये लोग सिर्फ सुर्खियां बटोरना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आम जनभावनाओं को ध्यान में रखकर ही वक्फ बोर्ड के चेयरमैन के रूप में उन्होंने न्याय के पक्ष में खड़ा होने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में भगवान राम को लेकर कोई विवाद नहीं है। सभी कौम के लोग भगवान राम के प्रति श्रद्धा रखते हैं। अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है और उनका भव्य मंदिर बनना ही चाहिये। उन्होंने कहा कि यदि जरूरी है तो अमन-ए-मोहब्बत की मस्जिद अयोध्या से दूर मुस्लिम आबादी में बनायी जा सकती है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि ने कहा कि अधिग्रहीत परिसर में किसी भी दशा में मस्जिद के निर्माण को स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इससे तो विवाद कायम रहेगा और फिर आने वाली पीढ़ी को भी उसी समस्या से जूझना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि समाधान का अर्थ है पूर्ण रूप से विवाद का निपटारा। इसलिये मस्जिद का समर्थन करने वाली पीढ़ी को विवाद में उलझाया नहीं जा सकता।
श्रीरामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य एवं दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने कहा कि अयोध्या में पहले से ही 24 से अधिक मस्जिदें हैं। इसलिये अतिरिक्त मस्जिद की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी का प्रस्ताव स्वागत योग्य है और हम सभी इसका समर्थन करते हैं। अखिल भारतीय श्री पंच रामानन्दीय अखाड़ा के महंत एवं पक्षकार धर्मदास का कहना है कि विश्व हिन्दू परिषद अथवा श्रीरामजन्मभूमि न्यास मंदिर/मस्जिद विवाद में कोई पक्षकार नहीं है। उन्होंने कहा कि आपसी समझौता तो विवाद के पक्षकारों के बीच होना है।


