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जोधपुर हिंसा को लेकर शेखावत ने गहलोत पर साधा निशाना, कहा : 'रोम जल रहा, नीरो बांसुरी बजा रहा'

राजस्थान में भाजपा नेताओं ने जोधपुर में सोमवार रात और मंगलवार को भी जारी रही दो समूहों के बीच हिंसक झड़पों को लेकर कांग्रेस सरकार और सत्ताधारी पार्टी पर तुष्टीकरण नीति अपनाने का आरोप लगाया

जोधपुर हिंसा को लेकर शेखावत ने गहलोत पर साधा निशाना, कहा : रोम जल रहा, नीरो बांसुरी बजा रहा
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जयपुर। राजस्थान में भाजपा नेताओं ने जोधपुर में सोमवार रात और मंगलवार को भी जारी रही दो समूहों के बीच हिंसक झड़पों को लेकर कांग्रेस सरकार और सत्ताधारी पार्टी पर तुष्टीकरण नीति अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने जोधपुर में निर्दोष लोगों पर भीड़ के हमले के समय कांग्रेस विधायकों के अनुपस्थित रहने पर भी सवाल उठाया।

केंद्रीय मंत्री और जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर कटाक्ष करते हुए कहा, "जब रोम जल रहा था, तब नीरो बांसुरी बजा रहा था।"

शेखावत ने आरोप लगाया कि जब गहलोत का अपना शहर जल रहा था, तो वह अपने जन्मदिन पर शुभकामनाएं लेने में व्यस्त थे।

उन्होंने कहा, "एक मासूम लड़की पर हमला क्यों किया गया? दुकानों के अंदर बैठे आम लोगों पर हमला क्यों किया गया? एक भाजपा नेता पर हमला क्यों किया गया? और प्राथमिकी दर्ज करने में देरी क्यों हुई?"

भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख सतीश पूनिया ने भी राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को पत्र लिखकर जोधपुर में हुई हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

उन्होंने कहा, "राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएं, ताकि राज्य में शांति स्थापित हो सके और राजस्थान में सांप्रदायिक घटनाएं न हों। इन घटनाओं में शामिल अराजक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।"

पूनिया ने एक बयान में कहा, "राजस्थान में कानून-व्यवस्था एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। अशोक गहलोत द्वारा संचालित कांग्रेस सरकार के संरक्षण में तुष्टिकरण की राजनीति के कारण राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई है, जो वास्तव में चिंताजनक है।"

उन्होंने कहा, "जिस तरह से जोधपुर में इस्लामी झंडा फहराया गया और उसके बाद हुई हिंसा राज्य में अराजकता फैलाने की कोशिश थी। करौली के बाद हुई यह घटना साबित करती है कि इस तरह की हिंसक हरकतें कांग्रेस सरकार के संरक्षण में हो रही हैं।"

पूनिया ने कहा, "ऐसी घटनाएं केवल कांग्रेस सरकार के तहत ही क्यों होती हैं? इसका मतलब है कि अराजक तत्वों को सुरक्षा मिलती है। एक तरफ पीएफआई को कोटा में रैली निकालने की अनुमति है, तो दूसरी तरफ रामनवमी और हिंदू नववर्ष के जुलूस प्रतिबंधित हैं।"

पूनिया ने कहा कि अशोक गहलोत को अपनी कुर्सी की चिंता करने की बजाय लोगों की सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए।

जोधपुर में झड़पों के सिलसिले में अब तक कम से कम 97 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस घटना ने अधिकारियों को जिले में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने के अलावा 10 पुलिस थानों के तहत कर्फ्यू लगाने के लिए मजबूर किया।


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