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शीना बोरा हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने इंद्राणी मुखर्जी की जमानत याचिका पर सीबीआई से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को शीना बोरा हत्याकांड की मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया

शीना बोरा हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने इंद्राणी मुखर्जी की जमानत याचिका पर सीबीआई से मांगा जवाब
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को शीना बोरा हत्याकांड की मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया। शीर्ष अदालत ने मुखर्जी की जमानत याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा, "नोटिस जारी किया जाता है। दो सप्ताह में जवाब दाखिल किया जाना चाहिए।"

मुखर्जी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि उनकी मुवक्किल छह साल से अधिक समय से जेल में हैं और मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि मुकदमा 10 वर्षों में समाप्त नहीं होगा।

उन्होंने कहा, "साढ़े छह साल से वह जेल में हैं। मुकदमा अगले 10 साल में खत्म नहीं होने वाला है।"

पीठ ने रोहतगी से पूछा कि मामले में कितने गवाह हैं। रोहतगी ने जवाब दिया कि 185 गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है। उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ साल में किसी गवाह से पूछताछ नहीं हुई है और उनका पति पहले से ही जमानत पर है।

रोहतगी ने आगे कहा कि निचली अदालत जून 2021 से बिना पीठासीन अधिकारी के खाली है।

उन्होंने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि उनके मुवक्किल की तबीयत भी ठीक नहीं है। "उनके पति जमानत पर हैं। यह महिला ठीक नहीं है। वह कष्ट में है।"

मुखर्जी 2015 में हत्या के मामले में गिरफ्तारी के बाद से जेल में हैं।

हाल ही में मुखर्जी ने सीबीआई को एक पत्र भेजकर सनसनी मचा दी थी, जिसमें दावा किया गया था कि उनकी बेटी शीना बोरा जीवित है। सीबीआई ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक अदालत का हस्तक्षेप नहीं होगा, इस विशेष कोण (एंगल) को जांच का हिस्सा नहीं बनाएगी।

अप्रैल 2012 में, मुंबई पुलिस में शीना बोरा के अपहरण और हत्या का आरोप लगाते हुए एक मामला दर्ज किया गया था। 2015 में सीबीआई ने जांच शुरू की थी। तब इंद्राणी को गिरफ्तार कर लिया गया था और उनके पति पीटर मुखर्जी को मार्च 2020 में जमानत दे दी गई थी।

पिछले साल दिसंबर में, इंद्राणी ने सीबीआई को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि वह एक कैदी का बयान दर्ज कराने के लिए विशेष अदालत का रुख करेंगी, जिसने दावा किया है कि वह कश्मीर में बोरा से मिला था।

अदालत कई मौकों पर उनकी जमानत खारिज कर चुकी है। पिछले साल नवंबर में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा था कि यह देखते हुए कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य के रूप में मौजूद सामग्री ने हत्या में उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी का ²ढ़ता से समर्थन किया, इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।


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