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शरद पवार ने अजित पवार को दी चेतावनी : बिना अनुमति के मेरी तस्वीरों का उपयोग न करें

एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार के नेतृत्व वाले अलग हुए गुट को किसी भी उद्देश्य के लिए उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल करने के खिलाफ चेतावनी दी

शरद पवार ने अजित पवार को दी चेतावनी : बिना अनुमति के मेरी तस्वीरों का उपयोग न करें
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मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को अपने भतीजे अजित पवार के नेतृत्व वाले अलग हुए गुट को किसी भी उद्देश्य के लिए उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल करने के खिलाफ चेतावनी दी।

नए और दूसरे उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंगलवार सुबह मंत्रालय के पास अपने पार्टी कार्यालय का उद्घाटन किया और अपने चाचा का एक बड़ा चित्र स्थापित किया, जिन्हें उनके एनसीपी गुट ने भी पार्टी अध्यक्ष के रूप में जारी रखा है।

पिछले तीन दिनों से एनसीपी अजित पवार समूह कई उद्देश्यों के लिए शरद पवार के नाम का सहारा ले रहा है, जिससे जाहिर तौर पर वे नाराज हैं।

शरद पवार ने मंगलवार को पलटवार करते हुए अजित पवार और अन्य बागियों से कहा कि जब तक वह जीवित हैं, तब तक उनकी अनुमति के बिना किसी भी उद्देश्य के लिए उनकी तस्वीरों का उपयोग न करें।

शरद पवार ने दृढ़तापूर्वक कहा, "उन्होंने मेरी विचारधारा को धोखा दिया है और अब वे राजनीतिक मतभेद रखते हैं... इसलिए उन्हें मेरी तस्वीरों का उपयोग नहीं करना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि यह तय करना उनका अधिकार है कि उनके जीवित रहने तक उनकी तस्वीरों का उपयोग कौन कर सकता है। उन्होंने कहा, "मेरे नेतृत्व वाली एनसीपी को छोड़कर मेरी मंजूरी के बिना मेरी तस्वीर का उपयोग करने का अधिकार किसी और को नहीं है।"

मौजूदा हालात में शरद पवार की स्थिति शिवसेना-यूबीटी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की जैसी हो गई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना सभी अवसरों के लिए मूल पार्टी संस्थापक, दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की तस्वीरों का उपयोग कर रही है।

ठाकरे कई मौकों पर शिंदे गुट को बाप-चोर' कह चुके हैं। उन्‍होंने कहा है, "वे अपने राजनीतिक लाभ के लिए किसी और के पिता का अपहरण कर रहे हैं, और मैंने उन्हें ऐसा करने से परहेज करने के लिए कहा था।"

2022 के मध्य में शिवसेना के विभाजन के बाद चुनाव आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को मूल पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न 'धनुष और तीर' आवंटित कर दिया था, जबकि ठाकरे गुट को नया नाम 'शिवसेना-यूबीटी' और चुनाव चिह्न 'जलती मशाल' दिया था।


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