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शरद पवार ने कोटा के लिए जाति आधारित राष्ट्रीय जनगणना की मांग की

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने बुधवार को यहां विभिन्न समूहों के लिए कोटा निर्धारित करने और सामाजिक समानता सुनिश्चित करने के लिए 'जाति आधारित' राष्ट्रीय जनगणना की मांग की है

शरद पवार ने कोटा के लिए जाति आधारित राष्ट्रीय जनगणना की मांग की
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मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने बुधवार को यहां विभिन्न समूहों के लिए कोटा निर्धारित करने और सामाजिक समानता सुनिश्चित करने के लिए 'जाति आधारित' राष्ट्रीय जनगणना की मांग की है। पवार ने राकांपा-ओबीसी प्रकोष्ठ के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "कोई भी मुफ्त में कुछ नहीं मांग रहा है, लेकिन हर किसी को वह मिलना चाहिए जो उनके लिए सही है। 'जाति-आधारित' जनगणना करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।"

उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को संविधान द्वारा उन्हें दिए गए आरक्षण का लाभ मिला है और इसी तरह की रियायतें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को भी दी जानी चाहिए।

81 वर्षीय एनसीपी सुप्रीमो कहा, "हालांकि, इस तरह के आरक्षण प्रदान करने के लिए सरकार को सटीक ओबीसी आबादी का पता लगाना चाहिए जिसे 'जाति-आधारित' जनगणना द्वारा जाना जा सकता है और इन आंकड़ों के आधार पर समुदाय के साथ न्याय किया जा सकता है।"

ओबीसी कोटा के मुद्दे पर महा विकास अघाड़ी सरकार को दोषी ठहराने के लिए विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आलोचना करते हुए पवार ने कहा, "वे महाराष्ट्र में पांच साल से सत्ता में थे और 2014 से दिल्ली में शासन कर रहे थे, क्या आप अब तक सो रहे थे?"

उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग चाहे कुछ भी कहें, ओबीसी को उनसे न्याय मिलने की कोई उम्मीद नहीं है, और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जाति आधारित जनगणना की बात उठाई है, लेकिन केंद्र की मानसिकता अलग है।

पवार ने दोहराया कि एमवीए, जिसमें शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस शामिल है, आगामी निकाय चुनाव तभी कराएगी जब ओबीसी आरक्षण का मुद्दा यह सुनिश्चित करने के लिए हल हो जाएगा कि उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनका हिस्सा मिले।

पवार की यह टिप्पणी उस समय आई है, जब राज्य ओबीसी कोटा बहाल करने की मांग के बीच स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी कर रहा है।

अन्य प्रमुख वक्ताओं में मंत्री जयंत पाटिल, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, डॉ. जितेंद्र अवध, सांसद सुप्रिया सुले, प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष ईश्वर बलबुद्धे और अन्य शामिल थे।


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