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शाहीन बाग को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का इंतजार

शाहीनबाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पहले ही की तरह जारी

शाहीन बाग को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का इंतजार
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नई दिल्ली। शाहीनबाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पहले ही की तरह जारी है। यह स्थिति प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकारों व प्रदर्शनकारियों के बीच कई चरण की वार्ता के बाद भी बनी हुई है। रविवार को प्रदर्शन का 71वां दिन रहा। कई वक्ताओं ने लोगों के धैर्य की सराहना की और उम्मीद जताई कि शीर्ष कोर्ट सोमवार को उनकी आवाज को सुनेगा।

हालांकि, कुछ प्रदर्शनकारी सरकार की मंशा को लेकर आशंकित हैं। उनका कहना है कि इस तरह का प्रदर्शन देश के हर कोने में हो रहा है, होना ही चाहिए।

प्रदर्शन स्थल पर वक्ताओं का आना जारी रहा और उनकी बातें भीड़ रुचि लेकर सुनते रहे।

समर्थन करने फरीदाबाद से आए एक वक्ता जमाल खान ने 'जय हिंद' के साथ अपने भाषण की शुरुआत की और स्वतंत्रता सेनानियों- राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खान के बारे में बात की, जिन्होंने अपना जीवन देश की आजादी के लिए कुर्बान किया। उन्हें भीड़ से जोरदार तालियां मिलीं, जब उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग हत्यांकांड में मारे गए लोगों में मुस्लिम भी थे।

उन्होंने कहा, "हम देश और संविधान को बचाने निकले हैं, इसलिए हमारा साथ दें।"

इस पर महिलाओं ने 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे लगाए।

एक अन्य वक्ता ने कहा, "यह लड़ाई मुस्लिमों के लिए नहीं, बल्कि संविधान के लिए है और यही वजह है कि भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर व अन्य ओबीसी नेता इस आंदोलन के साथ हैं।"

वक्ताओं ने प्रधानमंत्री व गृहमंत्री पर कटाक्ष किया। वक्ता फुरकान ने कहा, "दो व्यक्तियों ने समूचे देश को मुश्किल में डाल दिया है।"

कांग्रेस नेता परवेज आलम खान ने कहा, "प्रदर्शन संगठित है और इसका कोई चेहरा नहीं और कोई इसका नेता होने का दावा नहीं कर सकता। इसलिए कोर्ट से बिना किसी ठोस भरोसा मिले कोई यहां से जाने का इच्छुक नहीं है।"

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों से कई दौर की बातचीत कर ली है, लेकिन सड़क की नाकाबंदी का मुद्दा अभी नहीं सुलझ सका है।

हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने एक रास्ता खोल दिया है, जिससे गाड़ियां अब नोएडा की तरफ जा सकती हैं।


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