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मिजोरम विधानसभा चुनाव पर मणिपुर हिंसा की छाया

2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस हार गई थी और अब वह वापसी की उम्मीद लगाये बैठी है

मिजोरम विधानसभा चुनाव पर मणिपुर हिंसा की छाया
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- सुशील कुट्टी

निवर्तमान विधानसभा में कांग्रेस के पास केवल पांच सीटें थीं, जबकि एमएनएफ और ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट संख्या में उससे आगे थे। भाजपा फिर से उभरती कांग्रेस से जूझ रही है। मिजोरम-असम सीमा विवाद और मिजोरम में नशीली दवाओं का प्रवेश दो बड़े चुनावी मुद्दे हैं, जिसमें सीमा विवाद सीधे तौर पर भाजपा और उसके असम के मुख्यमंत्री से जुड़ा है।

2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस हार गई थी और अब वह वापसी की उम्मीद लगाये बैठी है। हालांकि, सत्तारूढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट और विपक्षी ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। मिजोरम में भाजपा को पड़ोसी राज्य मणिपुर में हो रही घिनौनी घटनाओं से जूझना पड़ रहा है। एमएनएफ का नेतृत्व मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा कर रहे हैं और मिज़ो शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद से एमएनएफ और कांग्रेस ने क्रमश: तीन और चार बार सत्ता संभाली है। एमएनएफ खुद को सत्ता में बनाये रखने के लिए लोगों के उत्थान के लिए अच्छे प्रशासन और सरकारी संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन के अपने रिकॉर्ड पर भरोसा कर रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मणिपुर हिंसा मिज़ोरम में सिरदर्द बन गया है। मिजोरम में 7 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर में अप्रिय घटनाओं के बावजूद राज्य में प्रचार करना होगा। प्रधानमंत्री से प्रेस वार्ता आयोजित करने की उम्मीद बहुत ज्यादा होगी। प्रधानमंत्री मोदी हस्तक्षेप करने वाले प्रेस से घिरे हुए मंच के ऊपर दूर पर ही होंगे।

भाजपा के अन्य शीर्ष नेता मीडिया को संबोधित कर सकते हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा दोनों मिजोरम में रहेंगे। प्रधानमंत्री के संभावित कार्यक्रम के मुताबिक, वह 30 अक्टूबर को ममित शहर में एक चुनावी रैली को संबोधित करेंगे।

इस बीच कांग्रेस नेता और वायनाड सांसद राहुल गांधी आये और चले गये। अच्छी तरह से कटी हुई दाढ़ी वाले गांधी 16 अक्टूबर को एक पदयात्रा और एक रैली के लिए मिजोरम में थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विपरीत, राहुल गांधी मीडिया का सामना करने से घबड़ाते या डरते नहीं थे।

एक चुटीले पत्रकार ने राहुल से राजनीतिक वंशवाद के बारे में पूछा और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने बिना किसी दुर्भावना के पत्रकार से प्रतिवाद किया, जिसे देखने वाला कोई भी यह प्रमाणित करेगा कि यह एक कठिन कार्य है। कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है और पार्टी सभी 40सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

भारतीय जनता पार्टी 23 निर्वाचन क्षेत्रों से अपनी किस्मत आजमायेगी। भाजपा के दो स्टार प्रचारक असम के मुख्यमंत्री हिमंतविस्वा शर्मा और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा हैं। शर्मा ने विशेष रूप से 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के लिए पूर्वोत्तर में जमीन तैयार करने के लिए अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए तीसरा कार्यकाल सुनिश्चित करना सभी भाजपा मुख्यमंत्रियों/केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के लिए जीवनरेखा है। हिमंतविस्वा शर्मा को पूर्वोत्तर में एक बड़ा आकर्षण माना जाता है। एक अन्य पूर्वोत्तर व्यक्ति, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, मिजोरम के लिए भाजपा के चुनाव प्रभारी हैं। भाजपा मिजोरम में सीटों के लिए रियांग और चकमा आदिवासियों पर भरोसा कर रही है।

भगवा पार्टी सत्ता में बने रहने के लिए सहयोगी मिजो नेशनल फ्रंट पर भरोसा कर रही है। मतदान 7 नवम्बर मंगलवार को और मतगणना रविवार को होगी। चुनाव लड़ने के लिए 174 उम्मीदवारों ने आवेदन किया है, जिनमें 16 महिलाएं शामिल हैं। मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और मुख्य विपक्षी दल, ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम), दोनों क्षेत्रीय/राज्य संगठन हैं। कांग्रेस और भाजपा मूलत: बाहरी हैं। आम आदमी पार्टी चार सीटों पर चुनाव लड़कर अपनी घुसपैठ बनाने की कोशिश कर रही है।174 उम्मीदवारों में से 27 'निर्दलीय' हैं।

ऐज़वाल में राहुल गांधी की पदयात्रा में हजारों कांग्रेस समर्थक और जनता शामिल हुई। कम से कम चनमारी नामक स्थान से लेकर ट्रेजरी स्क्वायर नामक स्थान तक का विस्तार गांधी परिवार की भारत जोड़ो यात्रा की याद दिलाता है। गांधी ने सड़क के दोनों ओर खड़े लोगों की ओर हाथ हिलाया और कुछ लोगों से बातचीत करते हुए हाथ मिलाया। आंखों से संपर्क बनाना मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का एक तरीका है। कांग्रेस नेता छात्रों के साथ बातचीत करने से नहीं चूके और ईसाई बहुल मिजोरम में मतदान को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

ऐज़वाल और लुंगलेई राज्य में दो स्थान थे जहां कांग्रेस नेता रुके थे। इसमें कोई शक नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी मिजोरम में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं, जो क्र्रमश: भाजपा और कांग्रेस के मुख्य प्रचारक हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि जीत किसकी होती है। हालांकि, फिलहाल, दोनों पार्टियां मिजोरम पीपुल्स फोरम के साथ चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद सार्वजनिक जुलूस आयोजित नहीं करने के समझौते से बंधी हैं।

निवर्तमान विधानसभा में कांग्रेस के पास केवल पांच सीटें थीं, जबकि एमएनएफ और ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट संख्या में उससे आगे थे। भाजपा फिर से उभरती कांग्रेस से जूझ रही है। मिजोरम-असम सीमा विवाद और मिजोरम में नशीली दवाओं का प्रवेश दो बड़े चुनावी मुद्दे हैं, जिसमें सीमा विवाद सीधे तौर पर भाजपा और उसके असम के मुख्यमंत्री से जुड़ा है।

कहानी से अलग एक दिलचस्प बात यह है कि निवर्तमान विधानसभा के 35 विधायक करोड़पति थे जिनके बारे में एसोसिएशन फॉरडेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और मिजोरम इलेक्शन वॉच ने बताया है। राज्य में कुल 39 विधायक थे और उनमें से कोई भी महिला नहीं थी। उन्होंने कहा कि ये 2023 के लिए चुनावी मुद्दे नहीं हैं।
पूरी संभावना है कि असम-मिजोरम सीमा विवाद तथा मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री की लगातार चुप्पी पर जनाक्रोश मिजोरम चुनाव परिणामों को प्रभावित करेंगे।


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