कई राज्यों ने जीएसटी नेटवर्क को मनी लॉन्ड्रिंग कानून के दायरे में लाने के कदम का किया विरोध
जीएसटी काउंसिल की बैठक दौरान राजस्थान, तमिलनाडु, पंजाब, पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे कई विपक्षी दल शासित राज्यों ने जीएसटी नेटवर्क को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के प्रावधान के दायरे में लाने का विरोध किया

नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की बैठक मंगलवार को शुरू हुई। बैठक के दौरान राजस्थान, तमिलनाडु, पंजाब, पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे कई विपक्षी दल शासित राज्यों ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधान के दायरे में लाने का विरोध किया।
वित्त विभाग संभाल रहीं दिल्ली की मंत्री आतिशी ने विज्ञान भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा, इस समय जहां केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की बैठक हो रही है, कई राज्यों के वित्त मंत्रियों ने जीएसटीएन को पीएमएलए प्रावधानों के तहत लाने के केंद्र के फैसले का विरोध किया, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के हाथों छोटे और मध्यम व्यापारियों का अनावश्यक उत्पीड़न हो रहा है।
यहां तक कि पंजाब के वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बैठक में ब्रेक के दौरान संवाददाताओं से कहा कि जीएसटी को पीएमएलए के दायरे में लाना छोटे व्यापारियों के लिए बड़ा खतरा होगा और यहां तक कि कर आतंकवाद भी पैदा हो सकता है।
आतिशी ने संवाददाताओं से कहा, "7 जुलाई को एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें जीएसटीएन को पीएमएलए के तहत लाया गया था। इसका मतलब है कि जो व्यवसायी कुछ कठिनाइयों के कारण जीएसटी दाखिल करने में असमर्थ हैं, उन पर पीएमएलए के तहत ईडी द्वारा मुकदमा चलाया जा सकता है।"
उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और राजस्थान के वित्तमंत्रियों ने भी यह मुद्दा उठाया।
आतिशी ने कहा कि दिल्ली और पंजाब (दोनों आप शासित) समेत इन सभी वित्त मंत्रियों ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसके लिए तैयार नहीं थीं।
आतिशी ने संवाददाताओं से कहा, "हमने देखा है कि ईडी का इस्तेमाल लोगों को परेशान करने और गिरफ्तार करने के लिए कैसे किया जाता है। हमने इसका विरोध किया और (बैठक में) चर्चा की मांग की। लेकिन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इस मामले पर चर्चा के लिए तैयार नहीं थीं।"
उन्होंने कहा कि इन सभी मंत्रियों की मांग है कि भले ही बैठक की कार्यवाही में देरी हो, लेकिन इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए।


