सत्र न्यायाधीश ने महिलाओं के सम्मान में बनाया माँ का आंचल कक्ष
जिला सत्र न्यायाधीश रमाशंकर प्रसाद द्वारा न्यायालय प्रांगण में अनुकरणीय पहल करते हुए मां के आंचल नामक कक्ष का निर्माण कराया गया

बालोद। जिला सत्र न्यायाधीश रमाशंकर प्रसाद द्वारा न्यायालय प्रांगण में अनुकरणीय पहल करते हुए मां के आंचल नामक कक्ष का निर्माण कराया गया है ताकि इस कक्ष में माताओं द्वारा बच्चों को स्तनपान कराने के साथ ही ऐसा माहौल देने का प्रयास किया है जिससे बच्चे को घर जैसे वातावरण मिल सके उल्लेखनीय है कि जिला बनने के उपरांत जिले में जहां न्यायलयीन कार्य में बढ़ोतरी हुई है तो वही कई मामलों में पूरा का पूरा परिवार तथा कई माताएं अपने छोटे बच्चे के साथ न्यायालय प्रांगण में आती है इस दौरान माताओं को बच्चों को स्तनपान कराये जाने में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है महिलाओं के अहम समस्या को गंभीरता से लेते हुए जिला सत्र न्यायाधीश ने न्यायालय प्रांगण में मां का आंचल नामक कक्ष का निर्माण कर दिया
इसके लिए जिला सत्र न्यायाधीश रामाशंकर प्रसाद के साथ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार लाल प्रथम श्रेणी न्यायाधीश रमाशंकर प्रसाद प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश विजय कुमार मिंज ने बकायदा बच्चों के खेलने के लिए कक्ष में15 इंच मोटा गद्दा डलवाने के साथ ही हर उम्र के बच्चों के हिसाब से खिलौनों की व्यवस्था की गई है इस पूरे मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिला सत्र न्यायाधीश ने मां का आंचल कक्ष की सुरक्षा व्यवस्था का भी पुख्ता ध्यान रखते हुए कक्ष के बाहर एक महिलाकर्मी की तैनाती की है जो मां और बच्चे का ध्यान तो रखेगी ही तो वहीं न्यायलीन कार्य में मां के जाने के उपरांत भी वह बच्चे का पूरा पूरा ध्यान रखेगी ज्ञात हो की जिला सत्र न्यायाधीश रमाशंकर प्रसाद द्वारा न्यायलयीन मामलों को लेकर जहां गंभीरता से निराकरण कराए जा रहे हैं तो वहीं न्यायालय प्रांगण में आने वाली बच्चों एवं माताओं के साथ-साथ न्यायालय प्रांगण की व्यवस्था को भी चुस्त दुरुस्त किया जा रहा है इस मसले पर जब नईदुनिया ने जिला सत्र न्यायाधीश से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि न्यायालय में तरह-तरह के लोग आते हैं तो वहीं कई माताओं के साथ छोटे बच्चे भी आते हैं जिन्हें दिन -दुनिया के संदर्भ में कोई जानकारी नहीं होती है ऐसे माहौल में बच्चों के दिमाग पर कोई प्रभाव न पड़े इसलिए मां का आँचल कक्ष के साथ-साथ बच्चों के खिलौने की व्यवस्था की गई है ।
जिला सत्र न्यायाधीश रमाशंकर प्रसाद द्वारा न्यायालय में आने जाने वाले महिलाओं की महत्वपूर्ण दिक्कत के निराकरण के लिए जो पहल की गई है उसको लेकर आम जनता का विश्वास जहां न्याय के प्रति बढ़ा है तो वहीं न्यायालय प्रांगण में महिलाएं भी अपने आप को सुरक्षित महसूस करने लगी है हालांकि इस मसले पर भी जिला सत्र न्यायाधीश ने कहा कि मां का आंचल मेरी एक सोच है बाकी न्यायालय के मेरे सभी साथियों ने मेरी सोच को साकार रूप प्रदान किया है


