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सेवा भारत की सनातन संस्कृति व दर्शन का प्राण है : डॉ. कृष्णगोपाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्णगोपाल ने कहा है कि कोरोना के अप्रत्याशित संकट से निबटने के लिए राष्ट्रीय सेवा भारती की ओर से समाज के सहयोग से विविध प्रकार के सेवा कार्य संचालित किए गए

सेवा भारत की सनातन संस्कृति व दर्शन का प्राण है : डॉ. कृष्णगोपाल
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने कहा है कि कोरोना के अप्रत्याशित संकट से निबटने के लिए राष्ट्रीय सेवा भारती की ओर से समाज के सहयोग से विविध प्रकार के सेवा कार्य संचालित किए गए। यह सेवा कार्य समाज के अंत: करण में प्रेरणा का भाव जागृत करें, इस उद्देश्य से 'वयं राष्ट्रांगभूता' कॉफी टेबल बुक और 'कोरोना काल में संवेदनशील भारत की सेवा गाथा' पुस्तक तथा 'सौ दिन सेवा के' वृत्तचित्र के रूप में प्रेरणादायी कहानियों का संकलन किया गया है। डॉ. कृष्ण गोपाल ने नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में पुस्तक और वृत्तचित्र का विमोचन किया। अध्यक्षता मुकेश गर्ग ने की। डॉ. कृष्णगोपाल ने कहा कि इस संकलन की पृष्ठभूमि कोरोना की त्रासदी है। वर्तमान पीढ़ी ने पहली बार इस त्रासदी को देखा और अनुभव किया। कोरोना की आपदा कुछ ऐसी थी कि विभिन्न प्रकार के उपकरण, व्यवस्थाएं और शोध पराजित होते दिखे। मनुष्य हतप्रभ, निराश और कहीं न कहीं असमंजस में था। अमेरिका और यूरोप की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं असहाय नजर आ रही थीं। भारत के शहर और गांव इससे अछूते नहीं थे। लेकिन भारत ने दुनिया के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।

उन्होंने कहा, "हमारे यहां सरकार और प्रशासन के साथ समाजशक्ति ने अपने दायित्व और कर्तव्यों का जिस प्रकार निर्वहन किया, उसे दुनिया ने देखा। इस महामारी काल में भारत ने जिस भाव को प्रगट किया, वह दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिला। वह सभी भविष्यवाणियां एक बार पुन: गलत सिद्ध हुईं जो भारत को समझे बिना की जाती हैं। हमारा देश जो भौगोलिक रूप से दिखता है, मात्र वही नहीं है। भारत एक प्रेम की भाषा प्रकट करता है। दुनियाभर को इसने सहकार और संस्कार सिखाया। यह भावनाओं का देश है। कोरोना की त्रासदी में देश की हर सामाजिक और धार्मिक संस्था ने अपने सामथ्र्य के अनुसार सेवा कार्य किए। सेवा हजारों वर्षो से दर्शन और सनातन संस्कार का अभिन्न अंग है। इस आध्यात्म की पूंजी को लेकर ही भारतीय समाज आगे बढ़ता है।"

उन्होंने कहा कि संवेदना और सहकार रूपी पूंजी का पश्चिम जगत में अभाव है। यही मौलिक अंतर है। कोरोना की वीभीषिका से हम इसलिए भी उठ खड़े हुए, क्योंकि दूसरों की सेवा करने में यहां लोगों को आनंद आता है। दुनिया को बोध कराने का दायित्व भी हमारा है। आज दुनिया इस बात का साक्षात्कार कर रही है कि कैसे भारत ने समाज की समवेत शक्ति के आधार पर कोरोना की त्रासदी पर विजय प्राप्त की है।

इस अवसर पर कार्यक्रम में सेवा भारती के अध्यक्ष पन्नालाल, पन्नालाल, कुलभूषण आहूजा, पराग अभ्यंकर, रामलाल, अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र आदि मौजूद रहे।


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