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गंभीर रूप से घायल सैनिकों को 10 दिन पहले लद्दाख से बाहर भर्ती कराया गया 

पिछले महीने एलएसी के पास गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में गंभीर रूप से घायल लगभग 40 भारतीय जवानों को विशेष उपचार के लिए कुछ समय पहले चंडीगढ़ और नई दिल्ली भेजा गया है

गंभीर रूप से घायल सैनिकों को 10 दिन पहले लद्दाख से बाहर भर्ती कराया गया 
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लेह। पिछले महीने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में गंभीर रूप से घायल लगभग 40 भारतीय जवानों को विशेष उपचार के लिए कुछ समय पहले चंडीगढ़ और नई दिल्ली भेजा गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुक्रवार को लेह के दौरे से दस दिन पहले ही गंभीर रूप से घायल सैनिकों को इलाज के लिए चंडीगढ़ और नई दिल्ली भेजा गया।

भारत व चीनी सैनिकों के बीच 15 जून की रात हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें एक कर्नल स्तर के कमांडर सहित 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे जबकि 70 से अधिक जवान घायल हुए थे।

प्रधानमंत्री मोदी और सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को लद्दाख का दौरा किया था और उन्होंने लेह में अस्पताल में भर्ती भारतीय सेना के घायल जवानों से मुलाकात कर उनसे संक्षिप्त बातचीत की थी।

हालांकि उनकी इस यात्रा ने विवादों को भी जन्म दिया, क्योंकि टीवी चैनल्स द्वारा जारी किए गए वीडियो में कोई भी सैनिक घायल नहीं दिख रहा था। सैनिकों के शरीर पर किसी भी तरह की कोई चोट नजर नहीं आ रही थी और न ही उन्हें पट्टियां बंधी दिख रही थीं। वे अस्पताल वार्ड की जगह पंक्तियों में व्यवस्थित तरीके से एक बड़े सम्मेलन कक्ष में अपने बिस्तर पर बैठे दिखाई दिए थे। इसके बाद आलोचकों और विपक्ष में इस तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गईं कि यह पूरी यात्रा केवल एक प्रबंधित राजनीतिक ड्रामे के अलावा और कुछ नहीं है।

हालांकि, सेना के शीर्ष सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि जिन घायल सैनिकों की प्रधानमंत्री से मुलाकात हुई, वे गंभीर रूप से घायल नहीं थे। सूत्रों ने कहा कि उनमें वे शामिल नहीं थे, जो गंभीर रूप से घायल थे।

एक शीर्ष सूत्र ने कहा, "गंभीर रूप से लगभग 40 सैनिकों को 10 दिन पहले ही विशेष उपचार के लिए चंडीगढ़ और नई दिल्ली ले जाया गया।"

सूत्रों ने कहा कि गंभीर रूप से घायलों को शरीर ऊपरी हिस्से पर चोटें आई थीं और विशेषकर उनके सिर पर गंभीर चोट लगी थी। इसलिए उनके विशेष इलाज की जरूरत थी, जो कि लद्दाख में उपलब्ध नहीं था। सूत्रों ने कहा कि कम गंभीर चोटों वाले जवानों का इलाज लेह में किया जा रहा है और वे यहां ठीक भी हो रहे हैं।

एक अधिकारी ने कहा, "इसके अलावा प्रधानमंत्री ने इन सैनिकों से इनके घायल होने के लगभग 20 दिनों बाद मुलाकात की। उनमें से अधिकांश बहुत अच्छे रिकवरी मोड (ठीक होने की अवस्था) में हैं।"

एक अन्य सूत्र ने बताया कि गर्दन से नीचे और टखनों के ऊपर लगी चोट नहीं दिख रही थी क्योंकि सभी घायलों ने पूरी तरह से ढके हुए कपड़े पहने हुए थे।

सैन्य सूत्रों ने कहा कि गंभीर रूप से घायल सैनिकों को बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है लेकिन उनमें से अधिकांश जल्द ही ठीक होकर अपनी ड्यूटी पर लौटने में सक्षम होंगे। सूत्रों ने कहा कि केवल कुछ मामलों में जवानों के ठीक होने में समय लग सकता है।


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