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अर्थराइटिस के गंभीर मरीज कोरोना महामारी के दौरान विशेष ख्याल रखें: एम्स

एम्स में रेमेटोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. उमा कुमार ने देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) के लगातार बढ़ते हुए मामलों के मद्देनजर अर्थराइटिस के गंभीर मरीजों को अपना विशेष खयाल रखने की सलाह दी

अर्थराइटिस के गंभीर मरीज कोरोना महामारी के दौरान विशेष ख्याल रखें: एम्स
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नयी दिल्ली । अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में रेमेटोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. उमा कुमार ने देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) के लगातार बढ़ते हुए मामलों के मद्देनजर अर्थराइटिस के गंभीर मरीजों को अपना विशेष खयाल रखने की सलाह दी है और उन मरीजों को घर में ही रहने को कहा है जिनकी प्रतिरोधक क्षमता दवा और सुइयों के कारण प्रभावित होती है।

अर्थराइटिस के बारे में समाज में जागरुकता फैलाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा गत दिनों सम्मानित डॉ. कुमार ने रविवार को यूनीवार्ता से कहा कि 80 प्रतिशत मरीज अपनी प्रतिरोधक क्षमता से कोरोना वायरस से लड़कर ठीक हो जाते हैं, इसलिए अर्थराइटिस के मरीजों को अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के बारे में विशेष ध्यान देना चाहिए और पौष्टिक, सुपाच्य एवं संतुलित आहार लेना चाहिए हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि प्रतिरोधक क्षमता एक दिन में नहीं बढ़ती है।

उन्होंने कहा कि इस समय देश में कोरोना महामारी फैली हुई है इसलिए पेन किलर दवा से बचना चाहिए। बुखार, बदन दर्द होने पर पैरासिटामोल का ही सेवन करना चाहिए और वह भी डॉक्टरों की देख-रेख में ही करना चाहिए।

मरीज अपने मन से दवा खाने से बचें। उन्होंने कहा कि अर्थराइटिस के जो मरीज ‘बायोलॉजिकल’ और ‘डीमार्ट’ दवा लेते हैं, उनसे उनकी प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित भी होती है इसलिए इन दिनों उन्हें घर में ही रहना चाहिए क्योंकि बाहर निकलने पर अगर उन्हें कोरोना का संक्रमण हो गया तो वह उनके लिये जानलेवा हो सकता है।

डॉ कुमार ने लोगों से विशेषकर अर्थराइटिस के मरीजों को घर में नियमित कसरत करने की भी सलाह दी। यह पूछे जाने पर की क्या हाइड्रो क्लोरोक्वीन देने से कोरोना के मरीज ठीक हो जाते हैं, डॉ. कुमार ने कहा कि यह दवा कोरोना वायरस को हमारे शरीर के सेल में प्रवेश नहीं करने देती है और इससे वायरस की संख्या बढ़ती नहीं और उसका प्रसार नहीं होता है। इस दवा को देने से मरीज ठीक हुए हैं लेकिन ठोस रूप से इसका प्रमाण नहीं है कि वे इस दवा से ही ठीक हुए या अपनी प्रतिरोधक क्षमता से। इटली में कोरोना के मरीजों को रयूमेटाइड अर्थराइटिस की दवा “टोलीसीज़ुमा बी” दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह दवा कोरोना के उन मरीजों को दी जाती है जिनको सांस लेने में बहुत तकलीफ हो जाती है और जो वेंटीलेटर पर हैं। इसका भी हाइड्रो क्लोरोक्वीन की तरहःअच्छा असर देखा गया है। उन्होंने बताया कि हाइड्रो क्लोरोक्वीन अब बाजार में खत्म हो गयी है क्योंकि लोगों ने दुकानों से खरीद कर जमा कर लिया है लेकिन यह सब नहीं होना चाहिए। यह दवा जरूरतमंद मरीजों के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में शोध कार्य हो रहे हैं और दो तीन देशों में इसके टीके के परीक्षण भी शुरू हो गए हैं और उम्मीद है कि पूरी दुनिया मिलकर एक दिन कोरोना को परास्त कर देगी। हमें मिलजुल कर सकारात्मकता से इसे लड़ना है और सभी को परहेज और सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी बनाए रखने) पर ध्यान देना है।


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