जनगणना में आदिवासी समाज के लिए अलग से कॉलम हो: हेमन्त सोरेन
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग कॉलम होने की जरूरत पर बल दिया

रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग कॉलम होने की जरूरत पर बल देते हुए शनिवार को कहा कि आदिवासी समाज की सभ्यता, संस्कृति, व्यवस्था बिल्कुल अलग है इसलिए जनगणना में उनकी जगह स्थापित करने के लिए वर्षों से यह मांग की जा रही है।
हेमंत सोरेन ने आज यहां नीति आयोग की गवर्निंग कॉउन्सिल 2021 की वर्चुअल बैठक में कहा कि आदिवासी हितों की सुरक्षा के लिए आदिवासी मंत्रालय का निर्माण हुआ। संविधान में पांचवीं और छठी अनुसूची भी आदिवासी हित के लिए बनाई गई है।
आदिवासी समाज एक ऐसा समाज है, जिसकी सभ्यता, संस्कृति, व्यवस्था बिल्कुल अलग है। आदिवासियों को लेकर जनगणना में अपनी जगह स्थापित करने के लिए वर्षों से मांग रखी जा रही है। झारखंड विधानसभा से पारित कर राज्य सरकार ने सरना आदिवासी धर्म कोड की मांग से संबंधित प्रस्ताव भेजा है। उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस पर सहानुभूति पूर्वक विचार करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्सर क्षेत्र भ्रमण के क्रम में वृद्धों से बात करने का अवसर प्राप्त होता है। वृद्धों की शिकायत रहती है कि उन्हें पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। संबंधित पदाधिकारी बताते हैं कि टारगेट पूर्ण हो चुका है। क्या यूनिवर्सल पेंशन देकर ऐसे वृद्धों को लाभान्वित नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार द्वारा 2007 के बाद से पेंशन की राशि मे वृद्धि नहीं की गई है। हालांकि, राज्य सरकार राज्य कोष से इसको बढ़ाया है। पेंशन को यूनिवर्सल करने पर केंद्र सरकार विचार करे।


