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दिल्ली के छात्रों के लिए बनेगा अलग शिक्षा बोर्ड और नया पाठ्यक्रम

दिल्ली सरकार दिल्ली के छात्रों के लिए नए पाठ्यक्रम और दिल्ली शिक्षा बोर्ड बनाने पर काम कर रही है

दिल्ली के छात्रों के लिए बनेगा अलग शिक्षा बोर्ड और नया पाठ्यक्रम
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नई दिल्ली। दिल्ली सरकार दिल्ली के छात्रों के लिए नए पाठ्यक्रम और दिल्ली शिक्षा बोर्ड बनाने पर काम कर रही है। वहीं, शिक्षक-प्रशिक्षण को बेहतर करने के लिए विशेषज्ञ शिक्षकों का कैडर बनाने का प्रस्ताव है। राष्ट्रीय राजधानी में शिक्षा के स्तर को बेहतर करने के लिए शंघाई, जापान और फिनलैंड जैसे देशों से भी चर्चा हुई है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शिक्षा को आगे ले जाने के व्यापक विषयों पर चर्चा की जरूरत बताई। उन्होंने कहा, "संबंधित नियम कानूनों को बेहतर बनाने के साथ ही दिल्ली में हम नए पाठ्यक्रम और दिल्ली शिक्षा बोर्ड बनाने पर काम कर रहे हैं। हमारे जिन स्कूलों के बच्चे अच्छा रिजल्ट लेकर निकल रहे हैं, उनका समाज के विभिन्न मुद्दों पर क्या माइंडसेट है, यह समझना जरूरी है। वे धर्म, जाति, रंगभेद पर क्या सोचते हैं, महिलाओं के प्रति उनका व्यवहार क्या है, यह देखना जरूरी है।"

सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली की शिक्षा क्रांति को देखने विभिन्न राज्यों की टीमें आई हैं। लेकिन आंध्रप्रदेश के शिक्षा मंत्री ने जिस तरह दिलचस्पी लेकर साथ काम करने और आंध्र आने का आमंत्रण दिया है, यह काफी स्वागत योग्य है।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तथा आंध्रप्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ. औडिमुलापु सुरेश ने रविवार को दिल्ली सरकार के अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित किया।

आंध्रप्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ. औडिमुलापु सुरेश ने कहा कि दिल्ली ने अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। सभी राज्यों को इसका अनुकरण करना चाहिए। उन्होंने दिल्ली की टीम शिक्षा को आंध्रप्रदेश आने और साथ मिलकर काम करने का आमंत्रण भी दिया।

सम्मेलन की शुरुआत में 2015 से 2020 तक दिल्ली के शैक्षिक सुधारों पर बोस्टन कंसल्टिंग ग्लोब की स्वतंत्र रिपोर्ट पर चर्चा हुई। सात दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर पैनल चर्चा की गई।

सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन में भारत के अलावा यूके, यूएसए, जर्मनी, नीदरलैंड, सिंगापुर, फिनलैंड और कनाडा जैसे सात अन्य देश के 22 शिक्षा विशेषज्ञ शामिल हुए। समापन समारोह में सात दिनों की चर्चा के प्रमुख बिंदुओं पर विचार किया गया।

पैनल चर्चा के प्रमुख विचार विमर्श में शैक्षिक सुधारों में राजनीतिक इच्छाशक्ति बढ़ाने, शिक्षक प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए समावेशी प्रशासनिक मशीनरी तैयार करने और छात्रों पर पाठ्यक्रम का बोझ कम करके ज्यादा इंट्रेक्टिव पाठ्यक्रम की आवश्यकता पर जोर दिया गया। शिक्षक-प्रशिक्षण को बेहतर करने के लिए विशेषज्ञ शिक्षकों का कैडर बनाने, शिक्षकों के लिए सहयोगी व्यावसायिक विकास और परीक्षण के स्कोर तक सीमित रहने के बजाय माता-पिता के फीडबैक को शामिल करने जैसे सुझाव आए।

सिसोदिया ने कहा, "स्कूलों को छोड़कर बाहर चले जाने वाले छात्रों को स्कूली शिक्षा में वापस शामिल करना हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे बच्चे नौकरी या किसी तरह जीवन यापन के लिए स्कूल छोड़ते हैं। हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि उनकी स्किलिंग कैसे बढ़ सकती है और हम उन्हें कैसे सहायता प्रदान कर सकते हैं।"


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