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कोयंबटूर में दुष्कर्म-हत्या के दोषी की सजा-ए-मौत बरकरार 

कोयंबटूर में दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में मौत की सजा पाए एक व्यक्ति की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दी

कोयंबटूर में दुष्कर्म-हत्या के दोषी की सजा-ए-मौत बरकरार 
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नई दिल्ली। कोयंबटूर में दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में मौत की सजा पाए एक व्यक्ति की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दी। तमिलनाडु के कोयंबटूर में नौ साल पहले एक व्यक्ति ने दुष्कर्म करने के बाद नाबालिग और उसके भाई की हत्या कर दी थी।

तीन न्यायाधीशों की पीठ ने दो एक के बहुमत से दोषी मनोहरन के मामले को 'दुर्लभतम मामला' करार देते हुए उसे अपराधी के रूप में दोषी ठहराया। पीठ ने माना कि वह किसी भी प्रकार की सहानुभूति के लायक नहीं है।

बहुमत के फैसले ने यह भी कहा गया कि यदि दोषी को मुक्त कर दिया जाता है, तो इसकी भी कोई संभावना नहीं है कि वह भविष्य में ऐसा अपराध फिर से नहीं करेगा।

न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन और सूर्यकांत ने मृत्युदंड को बरकरार रखा, जबकि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने आजीवन कारावास पर जोर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को मद्रास हाईकोर्ट और एक ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए यह माना था कि मनोहरन को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए, क्योंकि उसका अपराध 'दुर्लभतम' श्रेणी में आता है।

इसके बाद मनोहरन ने सजा की समीक्षा की मांग को लेकर फिर से अदालत का रुख किया।

मनोहरन और उसके साथी मोहनकृष्णन ने 29 अक्टूबर 2010 को स्कूल जाने की तैयारी कर रही नाबालिग लड़की और उसके सात वर्षीय भाई को एक मंदिर के बाहर से उठा लिया था।

उन्होंने लड़की के साथ क्रूरतापूर्वक सामूहिक दुष्कर्म किया और नाबालिगों को जहर देकर मारने की कोशिश की। इस पर भी जब वे मर नहीं तो दोनों अपराधियों ने नाबालिगों को एक नहर में फेंक दिया, जहां वे डूब गए।

पुलिस ने बाद में एक मुठभेड़ के दौरान मोहनकृष्णन को मार गिराया।


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