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गुजरात में हेरोइन बरामदगी मामले में चेन्नई के मध्यम वर्गीय दंपति की गिरफ्तारी से सनसनी

चेन्नई के कोलापक्कम में मध्यवर्गीय गोवर्धन गिरि अपार्टमेंट इन दिनों चर्चा में है और यहां के निवासी भी सतर्क हो गए हैं

गुजरात में हेरोइन बरामदगी मामले में चेन्नई के मध्यम वर्गीय दंपति की गिरफ्तारी से सनसनी
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चेन्नई। चेन्नई के कोलापक्कम में मध्यवर्गीय गोवर्धन गिरि अपार्टमेंट इन दिनों चर्चा में है और यहां के निवासी भी सतर्क हो गए हैं। पिछले महीने गुजरात के मुंद्रा पोर्ट में भारी मात्रा में हेरोइन बरामद होने के बाद से यहां के नागरिक मीडिया, जांच एजेंसी के अधिकारियों को इन दिनों काफी संख्या में देख रहे हैं।

राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के अधिकारियों ने हाल ही में बंदरगाह से भारी मात्रा में 3,000 किलोग्राम हेरोइन जब्त की है, जिसकी कीमत लगभग 21,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसके बाद मामले में जांच के सिलसिले में गोवर्धन गिरि अपार्टमेंट में रहने वाले मचावरम सुधाकर और पत्नी गोविंदराजू दुर्गा पूर्ण वैशाली को एजेंसी के अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किया गया, जिससे आसपास रहने वाले लोग दंग रह गए और इस मामले ने सनसनी फैला दी है।

गिरफ्तारी न केवल अपार्टमेंट के अन्य निवासियों के लिए, बल्कि उस सड़क पर रहने वालों के लिए भी एक बड़ा आश्चर्य और सदमे के रूप में सामने आई है, क्योंकि यह दंपति बेहद साधारण और सरल स्वभाव का बताया जा रहा है, जिसे अब अरबों रुपये की ड्रग्स तस्करी के मामले में पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया गया है।

यह दंपत्ति निश्चित रूप से बड़े पैमाने या अरबों रुपयों के मूल्य वाली हेरोइन की तस्करी में शामिल होने में सक्षम प्रतीत नहीं हो रहा है, इसलिए लोगों को आश्चर्य अधिक हो रहा है।

आसपास रहने वाले लोग इस संबंध में अधिक कुछ नहीं कहना चाहते मगर कई लोगों ने मीडिया को बताया है कि सुधाकर और वैशाली, जिनके दो छोटे बच्चे हैं, एक सामान्य जीवन जी रहे थे।

पड़ोसियों के अनुसार, दंपति धार्मिक है और वे लोग सुबह पूजा करते थे।

एक निवासी ने कहा कि धाराप्रवाह तमिल बोलने वाला यह तेलुगु जोड़ा आम तौर पर अधिक लोगों के संपर्क में नहीं रहता था और उनके पास उनसे मिलने वाले लोग भी अधिक नहीं देखे जाते थे।

सुधाकर की नौकरी के बारे में, पुलिस ने कहा कि वह एक कार्गो एजेंट के साथ कार्यरत था, जबकि निवासियों का कहना है कि वह एक कंपनी के साथ काम कर रहा था।

ऐसा कहा जाता है कि सुधाकर ने पिछले साल कोविड-19 महामारी के बाद अपनी नौकरी खो दी थी और उसी समय आशी ट्रेडिंग कंपनी अस्तित्व में आई थी।

हेरोइन की खेप अफगानिस्तान से आई थी और इसे ईरान के बांदर अब्बास बंदरगाह से गुजरात भेजा गया था। माल और सेवा कर (जीएसटी) खेप के लिए इस्तेमाल किया गया नंबर कथित तौर पर आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में पंजीकृत एक कंपनी का है।

हालांकि बाद में पता चला कि चेन्नई की रहने वाली वैशाली ने पिछले साल विजयवाड़ा का पता बताते हुए जीएसटी रजिस्ट्रेशन लिया था।

इमारत का स्वामित्व वैशाली की मां गोविंदराजू तारका के पास है।

वैशाली ने निर्यात और आयात उद्देश्यों के लिए विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) से आयात और निर्यात लाइसेंस (आईईसी कोड) भी लिया था।

डीआरआई को यह सूचना मिलने के बाद कि नशीले पदार्थों की खेप को अर्ध-संसाधित टाल्कपत्थरों के रूप में दिखाया जा रहा है, जो कि अफगानिस्तान से आई है और इसे ईरान के बांदर अब्बास पोर्ट के माध्यम से मुंद्रा पोर्ट पर भेजा गया, इसने नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम के प्रावधानों के तहत जांच के लिए दो कंटेनरों को हिरासत में लिया।

इसके बाद, दंपति को गिरफ्तार कर लिया गया और आगे की जांच के लिए गुजरात ले जाया गया है, जबकि उनके दो बच्चे उनके करीबी रिश्तेदार के साथ छोड़ दिए गए हैं।


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