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रेलमार्ग पर दौड़ेंगी सेमीहाईस्पीड ट्रेनें

 भारतीय रेलवे के क्षमता विस्तार कार्यक्रम को तेज़ करते हुए रेलवे बोर्ड ने फैसला किया है कि जिन दोहरीकृत रेलमार्गों को तीसरी लाइन बनाने के लिये चुना गया है

रेलमार्ग पर दौड़ेंगी सेमीहाईस्पीड ट्रेनें
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नयी दिल्ली। भारतीय रेलवे के क्षमता विस्तार कार्यक्रम को तेज़ करते हुए रेलवे बोर्ड ने फैसला किया है कि जिन दोहरीकृत रेलमार्गों को तीसरी लाइन बनाने के लिये चुना गया है उनमे तीसरी लाइन का निर्माण डेडीकेटिड फ्रेट कॉरीडाेर (डीएफसी) के स्तर का किया जायेगा तथा उसी स्तर की चौथी लाइन बिछाने की भी मंज़ूरी दी जायेगी जिससे 2020 के बाद देश में प्रमुख मार्गों पर सेमीहाईस्पीड ट्रेनें चलाना संभव हो जायेगा।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार रेलवे बोर्ड ने हाल ही एक बैठक में फैसला लिया है कि जहां कहीं भी तीसरी रेल लाइन बिछाने की स्वीकृति प्रदान की गयी है और निर्माण शुरू नहीं हुआ है, वहां तीसरी लाइन का निर्माण डीएफसी के स्तर का किया जायेगा और अगर ज़रूरी हो तो चौथी लाइन के निर्माण को भी मंज़ूरी दी जायेगी। बोर्ड ने इसी माह सभी ज़ोनल रेलवे को इस आशय के निर्देश जारी किये हैं और डीएफसी स्तर पर तीसरी लाइन के निर्माण के लिये उपयुक्त सामग्री की खरीद एवं प्रयोग के लिये प्रस्ताव तैयार करने को कहा है।

सूत्रों ने कहा कि तीसरी चौथी लाइन बनने के तुरंत बाद उस मार्ग की मौजूदा पटरियों को भी डीएफसी स्तर तक उन्नत किया जायेगा। इससे गैर डीएफसी मार्ग पर भी मालगाड़ियों की आैसत रफ्तार भी बढ़ सकेगी। उल्लेखनीय है कि डीएफसी में रेलपटरियाें की क्षमता 25 टन एक्सेल लोड की होती है। भारवहन क्षमता 12 टन प्रतिमीटर है जबकि साधारण ट्रैक की क्षमता 22.9 टन एक्सेल लाेड की है और भारवहन क्षमता 8.67 टन प्रति मीटर की है।

डीएफसी लाइन में पूर्णत: स्वचालित सिगनल हर दो किलोमीटर की दूरी पर लगे होते हैं। जबकि साधारण ट्रैक पर हर किलोमीटर पर सिगनल लगे होते हैं। रेलवे बोर्ड ने पहले निर्णय लिया था कि जिन स्टेशनों के यार्ड की रिमॉडलिंग की जानी है, उसे तिहरीकरण हिसाब से रिमॉडल किया जायेगा। सूत्रों के अनुसार जिन रेलमार्गों पर तीसरी-चौथी लाइन बनायी जानी है, उन स्टेशनों पर यार्ड की रिमॉडलिंग अब चार लाइनों के हिसाब से की जायेगी। उनमें भी डीएफसी की तर्ज पर हैवीहॉल मालगाड़ियों के लिये करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी लूप लाइनें बनायीं जायेगीं।

सूत्रों के अनुसार तीसरी लाइन काे इस प्रकार से बनाया जाना है कि ज़रूरत पड़ने पर दोनों दिशाओं की ओर गाड़ियां चलायीं जा सकें। तीसरी लाइन की सिगनलिंग एवं रूटिंग को विशेष रूप से तैयार की जायेगी। इसके साथ साथ तीसरी लाइन के साथ चौथी लाइन बनाने की जगह छोड़ी जायेगी और उसके लिये ढांचागत तैयारी भी अभी से कर ली जायेगी ताकि जब भी चौथी लाइन बनाने का निर्णय हो तो केवल पटरी बिछाने का काम बाकी रहे और साल-दो साल में उस पर परिचालन शुरू हो जाये।

सूत्रों के अनुसार रेलवे ने तकरीबन सभी ट्रंक मार्गों तथा अन्य महत्वपूर्ण मार्गों पर तीसरी लाइन बिछाने का काम शुरू किया है। अधिकतर स्थानों पर टेंडर जारी किये जा चुके हैं और 2020 तक काम पूरा हो जाने की संभावना है। उस समय तक दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्गों पर डीएफसी भी बन कर तैयार हो जायेंगे तथा दिल्ली-चेन्नई, खड़गपुर-विजयवाड़ा और मुंबई-कोलकाता के तीन डीएफसी पर भी काम शुरू हो जायेगा।

सूत्रों ने बताया कि ऐसा होने पर मुख्य मार्गों पर 200 किलोमीटर प्रतिघंटा तक रफ्तार वाली सेमी हाईस्पीड गाड़ियां चलाना संभव हो जायेगा। इस समय देश में 16 प्रतिशत मुख्य मार्गों पर 60 प्रतिशत यातायात का दबाव है। आज़ादी के बाद देश में यात्री परिवहन में 1642 प्रतिशत और माल परिवहन 1344 प्रतिशत की वृद्धि हुई हैं लेकिन ट्रैक का विस्तार केवल 23 प्रतिशत ही हो पाया। इसके कारण प्रमुख मार्गों पर यातायात का दबाव 160 प्रतिशत तक है।


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