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 एयर इंडिया को मजबूरी में बेच रहे हैं : पुरी

श्री पुरी ने वायुयान (संशोधन) विधेयक, 2020 पर सदन में ढाई घंटे चली चर्चा का जवाब देते हुये कहा कि कोविड-19 के कारण घरेलू मार्गों पर हवाई यात्रियों की संख्या में 20-30 फीसदी की गिरावट आयी है।

 एयर इंडिया को मजबूरी में बेच रहे हैं : पुरी
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नयी दिल्ली। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज लोकसभा में कहा कि सरकार एयर इंडिया को खुशी से नहीं बल्कि मजबूरी में बेच रही है क्योंकि इसे रोजना 26 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था जो कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के कारण लगायी गयी पाबंदियों के बाद और बढ़ गयी है।

श्री पुरी ने वायुयान (संशोधन) विधेयक, 2020 पर सदन में ढाई घंटे चली चर्चा का जवाब देते हुये कहा कि कोविड-19 के कारण घरेलू मार्गों पर हवाई यात्रियों की संख्या में 20-30 फीसदी की गिरावट आयी है। अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर ज्यादा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा “कोरोना वायरस के कारण उड़ानें रद्द होने से पहले ही एयर इंडिया को हर दिन 26 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था। अब यह घाटा और बढ़ गया होगा।”

एयर इंडिया को नहीं बेचने की विपक्षी सदस्यों की माँगों को खारिज करते हुये मंत्री ने कहा “हम अपनी पसंद से इसे नहीं बेच रहे। यह काफी अच्छी एयरलाइन है। अस्सी घरेलू और 50 अंतर्राष्ट्रीय गंतव्यों का इसका नेटवर्क है। इसके पास सबसे अच्छे पायलट और इंजीनियर हैं। इसके पुनरोद्धार के लिए सरकार पहले ही 30 हजार करोड़ रुपये लगा चुकी है। इसे हर साल सात-आठ हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इसका घाटा बढ़कर 62 हजार करोड़ रुपये पर पहुँच चुका है। विमान सेवा के बाजार का जो चरित्र है उसमें सरकारी नियमों के दायरे में एयरलाइन का परिचालन बहुत कठिन है और इसलिए हम इसका निजीकरण कर रहे हैं।” उन्होंने आश्वस्त किया कि निजीकरण के कारण एयर इंडिया के किसी कर्मचारी की नौकरी नहीं जायेगी।

विधेयक पर विपक्ष के 19 संशोधनों को सदन ने खारिज कर दिया। इसके बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित हो गया।

विधेयक के कानून बन जाने के बाद नागर विमानन महानिदेशालय, नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो और विमान दुर्घटना अन्वेषण ब्यूरो को संवैधानिक मान्यता मिल जायेगी। इनका गठन वायुयान अधिनियम, 1934 के तहत कार्यकारी आदेश से किया गया है। साथ ही विधेयक में तीनों एजेंसियों के निर्देशों तथा नियमों के उल्लंघन के लिए अधिकतम जुर्माना 10 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये करने का प्रावधान है। यह भी प्रस्ताव किया है कि तीनों सेनाओं के साथ ही सभी सशस्त्र बलों के विमानों, हेलिकॉप्टरों एवं हवाई अड्डों को विमान अधिनियम से बाहर रखा जाये। थल सेना, वायु सेना और नौसेना के विमान पहले से ही इस अधिनियम के दायरे से बाहर हैं।

श्री पुरी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ के अनुमान के अनुसार कोविड-19 के कारण वैश्विक स्तर पर विमानन क्षेत्र को 63-100 अरब डॉलर का नुकसान होगा। भारतीय विमानन क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहेगा। घरेलू मार्गों पर यात्रियों की संख्या 20-30 प्रतिशत घट गयी है।

उन्होंने बताया कि कोरोना के प्रभाव से निपटने के लिए मंत्रालय के अधिकारियों ने कुछ सुझाव दिये हैं। इसके तहत तेल विपणन कंपनियों से कहा गया है कि वे विमान सेवा कंपनियों को विमान ईंधन पर 30 दिन का क्रेडिट दें। साथ ही वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया गया है वह 30 दिन की बजाय 15 दिन पर विमान ईंधन की कीमतों की समीक्षा करे ताकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में रही गिरावट का लाभ एयरलाइंस को मिल सके।

मंत्री ने कहा कि एयरलाइन के कुल परिचालन लागत में 40 फीसदी विमान ईंधन के मद में खर्च होता है। इस पर कर को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से उन्होंने विमान ईंधन को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने का अनुरोध किया है। उन्होंने इसे पेट्रोल-डीजल से अलग करने का सुझाव दिया।

ऊँचे हवाई किरायों को लेकर विपक्ष की चिंता को खारिज करते हुये उन्होंने कहा कि विमानन क्षेत्र में किराये को अनियमित कर दिया गया है। इससे किराया कम हुआ है। जेट एयरवेज के बंद होने के बारे में उन्होंने कहा कि भारत में ही नहीं, वैश्विक स्तर पर विमानन क्षेत्र के सभी अन्य पक्ष जैसे विमान निर्माता, विमान लीज पर देने वाली कंपनियाँ, हवाई अड्डा संचालक और टूर ऑपरेटर मुनाफा कमा रहे हैं जबकि एयरलाइंस पर दबाव है।

श्री पुरी ने कहा कि जिस रफ्तार से देश में विमानन क्षेत्र बढ़ रहा है हमें सभी पुराने नियमों को मौजूदा समय के अनुरूप बनाने की जरूरत है और सरकार ने इस दिशा में काम शुरू भी कर दिया है।

सिक्किम रिपीट सिक्किम के पाक्योंग हवाई अड्डे के बारे में उन्होंने बताया कि वहाँ भूस्खलन के कारण उड़ानें शुरू होने में देरी हुई है तथा जल्द ही वहाँ से सेवा शुरू की जायेगी।


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