मप्र में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए स्व-सहायता समूहों को मिला 300 करोड़ रुपये का कर्ज
मध्य प्रदेश में महिलाओं को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने के प्रयास जारी हैं, इसी क्रम में स्व-सहायता समूहों के खाते में 300 करोड़ रुपये के कर्ज की राशि भेजी गई।

भोपाल। मध्य प्रदेश में महिलाओं को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने के प्रयास जारी हैं, इसी क्रम में स्व-सहायता समूहों के खाते में 300 करोड़ रुपये के कर्ज की राशि भेजी गई। राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे सभागृह में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यदि काम करने की तड़प हो तो बहनें चमत्कार कर सकती हैं। माता, बहन, बेटियां अभाव और गरीबी में रहने तथा ताने सुनने के लिए पैदा नहीं हुई हैं। महिलाओं को जो सम्मान मिलना चाहिए, वह अभी तक नहीं मिला है। बेटा-बेटियों में भेद किया जाता है। मां, बहन, बेटी के सशक्तीकरण के लिए काम करना मेरे जीवन का मिशन है, यह मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, "हमारी सरकार महिलाओं के शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है। महिलाओं के लिए स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण सबसे पहले मध्यप्रदेश में दिया गया। महिलाओं के लिए संविदा शाला शिक्षक के 50 प्रतिशत पद पर तथा पुलिस की नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है। महिलाओं ने भी आत्म-विश्वास के साथ काम कर नया इतिहास रचा है, यह बड़ा सामाजिक परिवर्तन है। इंदौर पांच बार स्वच्छता में प्रथम आया है, वहां की मेयर एक महिला है। महिला सरपंच भी अनुकरणीय कार्य कर रही हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आर्थिक सशक्तिकरण आत्म-सम्मान और आत्म- विश्वास के लिए जरूरी है। महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हों, बहनों की आमदनी बढ़े, यह महिलाओं के संपूर्ण सशक्तिकरण के लिए आवश्यक है। आजीविका मिशन में जुड़ी प्रत्येक महिला की न्यूनतम दस हजार रुपये प्रतिमाह आय हो, इस दिशा में राज्य सरकार निरंतर कार्यरत है। बैंकों से सहज और सरल रूप से महिलाओं को ऋण प्राप्त हो, इस उद्देश्य से प्रतिमाह बैंकों के साथ सघन बैठकें की जा रही हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आर्थिक के साथ-साथ सामाजिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी महिलाओं की सक्रियता से बदलाव आ रहे हैं। महिला स्व-सहायता समूहों को नशामुक्ति, बाल विवाह की रोकथाम, स्वच्छता, पोषण, पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों में सामाजिक व्यवहार में सकारात्मक बदलाव के लिए भी निरंतर प्रयास करने चाहिए।
धार के जागृति आजीविका समूह की ममता सोनगरा ने बताया कि वे गांव में साड़ी की दुकान के साथ ब्यूटी पार्लर का संचालन करती हैं। इस पर मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि शहरों के साथ गांवों में आए सामाजिक और व्यक्तिगत बदलाव के परिणामस्वरूप गांवों में भी ब्यूटी पार्लर की मांग बढ़ी है। अत: महिलाएं, समाज की आवश्यकता के अनुरूप व्यवसायों में प्रशिक्षण लें। इससे ऐसे व्यवसायों में प्रशिक्षण लेकर गांव में ही ब्यूटी पार्लर या अन्य ऐसे कार्य आरंभ किए जा सकते हैं।
शहडोल जिले की कपिल आजीविका स्व-सहायता समूह की आशा राठौर ने स्व-सहायता समूह से जुड़ने के बाद सेन्ट्रिंग कार्य के लिए प्लेटे किराए पर देने का कार्य आरंभ किया। प्रधानमंत्री आवास योजना में बन रहे आवासों के परिणामस्वरूप इनका व्यवसाय अच्छा चल रहा है और प्रतिमाह 25 से 30 हजार की आय हो रही है।


