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घाटी में पत्रकारों की बेरोक-टोक आवाजाही के लिए दिशा-निर्देश की मांग

जम्मू एवं कश्मीर में पत्रकारों के स्वतंत्र आने-जाने और घाटी के हालात पर बिना किसी रोक-टोक के र्पिोटिंग करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देश देने की मांग की गई है

घाटी में पत्रकारों की बेरोक-टोक आवाजाही के लिए दिशा-निर्देश की मांग
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नई दिल्ली। जम्मू एवं कश्मीर में पत्रकारों के स्वतंत्र आने-जाने और घाटी के हालात पर बिना किसी रोक-टोक के र्पिोटिंग करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देश देने की मांग की गई है। कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन ने पत्रकारों के लिए जम्मू एवं कश्मीर में स्वतंत्र रूप से अपने पेशे का अभ्यास करने के लिए सक्षम वातावरण का महौल देने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की है।

इसने इंटरनेट और दूरसंचार सेवाओं को बंद करने के फैसले में ढील देने की मांग की गई है।

इसके अलावा मीडिया की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए फोटो जर्नलिस्ट/पत्रकारों की आवाजाही पर पूरी तरह से तत्काल छूट देने की बात उठाई गई है।

याचिकाकर्ता के वकील वृंदा ग्रोवर, सौतिक बनर्जी और रत्ना अप्पनेंडर ने जम्मू एवं कश्मीर सरकार के लिए निर्देश देने की मांग की है, ताकि 4 अगस्त के बाद से घाटी में स्थिति पर स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट करने में मदद मिल सके।

याचिकाकर्ता ने कहा कि वह संचार सेवाओं के बंद होने के कारण कश्मीर टाइम्स के कश्मीर संस्करण को प्रिंट और प्रकाशित नहीं कर पाई, जिससे मीडिया की गतिविधियों पर नाकाबंदी हुई।

याचिकाकर्ता ने इसमें कहा है कि ऐसे प्रतिबंध पत्रकारों के अधिकारों का हनन करते हैं, जो उन्हें सविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत प्राप्त हैं। उन्हें यह जानने का पूरा अधिकार है कि घाटी में क्या हो रहा है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि इंटरनेट और दूरसंचार माध्यमों को ऐसे समय में बंद किया गया है, जब इतना बड़ा राजनीतिक फैसला लेकर घाटी में संवैधानिक बदलाव किया गया है। यह कश्मीरियों में गुस्सा, डर, असुरक्षा जैसी भावनाओं को बढ़ा रहा है।


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