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पुस्तकालय का बोर्ड अंग्रेजी में देखकर भड़के नीतीश कुमार ने कहा, यह हमारी भाषा नहीं

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को बांका जिले के दौरे पर एक पुस्तकालय का बोर्ड अंग्रेजी भाषा में लिखे जाने पर भड़क गए

पुस्तकालय का बोर्ड अंग्रेजी में देखकर भड़के नीतीश कुमार ने कहा, यह हमारी भाषा नहीं
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बांका। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को बांका जिले के दौरे पर एक पुस्तकालय का बोर्ड अंग्रेजी भाषा में लिखे जाने पर भड़क गए। उन्होंने अधिकारियों से तत्काल इसे हिंदी भाषा में लिखने के निर्देश देते हुए कहा कि यह हमारी भाषा नहीं है।

दरअसल, मुख्यमंत्री गुरुवार को बांका और जमुई के दौरे पर थे। मुख्यमंत्री ने बांका सदर अस्पताल परिसर में 13.30 करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित मॉडल अस्पताल भवन का फीता काटकर कर उद्घाटन किया।

इस बीच, मुख्यमंत्री ने जीर्णोद्वार कराये गये इंडोर स्टेडियम का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान इंडोर स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रहे बैंडमिंटन खिलाड़ियों से मुख्यमंत्री ने कहा कि पढ़ना काफी आवश्यक है, लेकिन, इसके साथ-साथ खेल-कूद भी बहुत जरूरी है। इससे शारीरिक एवं मानसिक विकास ठीक ढंग से होता है।

मुख्यमंत्री ने इसके बाद आरएमके हाई स्कूल परिसर स्थित डिजिटल लाइब्रेरी का निरीक्षण किया। निरीक्षण के क्रम में मुख्यमंत्री ने वहां अध्ययनरत विद्यार्थियों से वार्ता कर उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी ली। इस बीच बोर्ड पर अंग्रेजी भाषा में लिखे डिजिटल लाइब्रेरी को देखकर मुख्यमंत्री भड़क गए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि हिंदी काफी महत्वपूर्ण भाषा है, हमारी इच्छा है और हम बराबर कहते भी रहते हैं कि हिंदी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि सरकारी भवनों पर अंग्रेजी की जगह हिंदी भाषा ही अंकित कराएं। हमने इंजीनियरिंग की पढ़ाई अंग्रेजी में ही की है। अंग्रेजी भाषा भी आवश्यक है, लेकिन हमारी सरकारी भाषा हिंदी और उर्दू है। अधिक से अधिक लोग हिंदी पढ़ना जानते है।

उन्होंने कहा कि हम चाहते है कि हिंदी भाषा का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा हो ताकि कोई भी सूचना या जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सकें। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि यदि कोई सूचना या जानकारी लोगों तक पहुंचानी है तो उसके लिए हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी के बजाए उर्दू भाषा का प्रयोग करें। सरकारी भवनों पर हिंदी भाषा में ही सूचनायें अंकित की जानी चाहिये। जब हम सांसद थे और केंद्र में मंत्री थे तभी से अपना नाम हिंदी में लिखते हैं।


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