65 साल में दूसरा सबसे बड़ा प्री-मॉनसून सूखा
65 सालों बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई है जिसमें प्री-मानसून में सबसे कम बारिश दर्ज की गई है

नई दिल्ली। पूरे उत्तर भारत में गर्मी ने अपना प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है। गर्मी और लू ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। उत्तर भारत में तो गर्मी को लेकर रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है, लेकिन इस भीषण गर्मी से लोगों को फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है।
हैरानी की बात ये है कि 65 सालों बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई है जिसमें प्री-मानसून में सबसे कम बारिश दर्ज की गई है।
आसमान से आग बरस रही है, लोगों का घर से बाहर निकलना मश्किल हो रहा है। देश में मॉनसून का इंतजार हो रहा है।
केरल में 6 जून को मॉनसून के दस्तक देने का अनुमान है और मानसून से पहले अब तक महज 99 मिलीमीटर बारिश ही हुई है। भारतीय मौसम विभाग के डेटा के मुताबिक बीते 65 सालों में ये दूसरा मौका है, जब इस तरह से प्री-मॉनसून सूखे की स्थिति पैदा हुई है।
आंकड़ों के मुताबिक 1954 के बाद से ऐसा दूसरी बार हुआ है, जब प्री-मॉनसून में इतनी कम बारिश हुई हो।
1954 में देश में 93.9 मिलीमीटर बारिश, रेकॉर्ड की गई थी...इसके बाद
2009 में मार्च, अप्रैल और मई में 99 मिलीमीटर बारिश हुई थी। फिर 2012 में ये आंकड़ा 90.5 मिलीमीटर। इसके बाद अब 2019 में 99 मिलीमीटर बारिश हुई है
बात अगर मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और महाराष्ट्र के ही विदर्भ इलाकों की करें तो यहां बारिश का सबसे कम औसत रहा। इसके अलावा कोंकण-गोवा, गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ इलाके में भी यही स्थिति देखने को मिली है।
तटीय कर्नाटक, तमिलनाडु और पुडुचेरी जैसे इलाकों में भी प्री-मॉनसून बारिश की कमी रही। अब देखना ये है कि जिस मानसून का लोगों को बेसब्री से इंतजार है वो लोगों कितनी राहत पहुंचाता है।


