करोलबाग में 1999 से किराया न चुकाने वालों की 32 दुकानें सील
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने आरोप लगाते हुए कहा की नगर निगम और एनडीएमसी द्वारा दिल्ली में सीलिंग बेहद भेदभाव एवं मनमाने तरीके से हो रही है

नई दिल्ली। राजधानी में सीलिंग से लोग परेशान हैं और आज सीलिंग की मार सब्जी मंडी, पंजाबी कालोनी, रोहिणी इलाके के मीरा बाग, रोहिणी सेक्टर-8 और सेक्टर-11, सीताराम बाजार, अजमेरी गेट, नारायणा विहार आदि में 55 संपत्तियों को सील किया गया। उत्तरी दिल्ली निगम क्षेत्र के अधिकारियों ने करोलबाग की महाराणा प्रताप मार्केट से ही 85 लाख रूपए जुर्माना वसूला गया। दरअसल यहां दुकानदारों वर्ष 1999 से किराया नहीं दिया था और अब 32 दुकानों को सील करने के बाद ही यह वसूली हो सकी। करोलबाग के अतिरिक्त उपायुक्त प्रबील कुमार झा ने बताया कि ऐसे कई बाजार हैं जहां से वसूली की जाएगी। दक्षिणी दिल्ली के पंचशील पार्क, जनकपुरी, न्यू महावीर नगर आदि में 23 संपत्तियों को सील किया गया।
दूसरी ओर व्यापारियों ने अब सीधे राजनैतिक दलों एवं सांसदों पर हमला बोलते हुए सवाल किया है कि इनके बंगले सीलिंग से अछूते क्यों हैं? इन बंगलों का सर्वे कर कार्रवाई करने की मांग करते हुए व्यापारियों ने तीखा विरोध दर्ज करवाया।
कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज कहा कि जगजाहिर है कि लुटियन जोन और नई दिल्ली सहित अन्य क्षेत्रों में राजनैतिक दलों और सांसदों के बंगलो में बड़ी मात्रा में अवैध निर्माण हुआ है जो भवन निर्माण के नियमों एवं मास्टर प्लान 2021 के प्रावधानों के विरुद्ध है और अभी तक ऐसे किसी भी बंगले पर कोई कार्यवाई नहीं हुई जबकि लगातार दिल्ली के व्यापारियों को सीलिंग का निशाना बनाया जा रहा है। मास्टर प्लान में लुटियन जोन में यथास्थिति रखने का प्रावधान है जबकि इसका उल्लंघन करते हुए ठीक सरकार की नाक के नीचे गत वर्षों में इन बंगलो में लगातार अवैध निर्माण हुए है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने आरोप लगाते हुए कहा की नगर निगम और एनडीएमसी द्वारा दिल्ली में सीलिंग बेहद भेदभाव एवं मनमाने तरीके से हो रही है और नगर निगम एवं एनडीएमसी का ध्यान इस ओर कतई भी नहीं गया है। उन्होने मॉनिटरिंग कमेटी से मांग करते हुए कहा की इन सभी बंगलो का सर्वे कराया जाए ओर जिन बंगलो में भी अवैध निर्माण हुआ है उनको तुरंत सील कर उनके खिलाफ कार्यवाई की जाए।
श्री खंडेलवाल ने कहा कि दिल्ली की विभिन्न अदालतों में भी बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हुए हैं। उदहारण के लिए उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में ठीक मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट के नीचे बने बेसमेंट में एक रेस्टोरेंट चल रहा है जिसमें लगातार गैस सिलिंडर उपयोग में लाये जाते हैं और कभी भी किसी दुर्घटना में उसके परिणाम भयंकर हो सकते है जबकि दूसरी ओर इसी न्यायालय के परिसर के कॉरिडोर में फोटोस्टेट, टाईपिंग का काम धडडले से हो रहा है ओर कोई देखने वाला नहीं है।


