सीलिंग मामला: शीला दीक्षित ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने व्यापारिक प्रतिष्ठानों को सीलिंग से राहत दिलाने के लिए सभी पक्षों और राजनीतिक दलों की बैठक बुलाकर इसका जल्द से जल्द हल ढूंढने का आग्रह किया है।

नयी दिल्ली। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने व्यापारिक प्रतिष्ठानों को सीलिंग से राहत दिलाने के लिए सभी पक्षों और राजनीतिक दलों की बैठक बुलाकर इसका जल्द से जल्द हल ढूंढने का आग्रह किया है।
दीक्षित ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आज लिखे पत्र में दिल्ली की 2006 में उनके शासन के दौरान की ऐसी स्थिति का जिक्र किया है।पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा है कि सीलिंग होने पर उनकी सरकार ने उस समय केन्द्र की सरकार से अध्यादेश लाने का अनुरोध किया था।इसके बाद 2183 सड़कों को वाणिज्यिक और मिश्रित भूमि उपयोग वाली सड़कों के रूप में अधिसूचित कर कारोबार और व्यापार को बचाया गया था।
पन्द्रह साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही दीक्षित ने पत्र में उच्चतम न्यायालय की निगरानी समिति की तरफ ध्यान दिलाया है जिसके निर्देश पर बाजारों और अधिसूचित रिहायशी क्षेत्रों में सीलिंग चल रही है।
उन्होंने कहा कि सीलिंग से प्रभावित नागरिकों, व्यापारी, पूर्व विधायक और पार्षद हाल ही में उनसे मिले और अपनी दिक्कतों से अवगत कराया।अपना कारोबार बचाने के लिए यह तुरंत समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 2006 के अध्यादेश में बेसमेंटों में पेशेवरों को काम करने की अनुमति दी गयी। इसके बावजूद निगरानी समिति के आदेश पर अधिसूचित क्षेत्रों में भी सीलिंग की गयी। सीलिंग के कारण लोगों का कारोबार बंद हो गया है जिससे कर्मचारी बेरोजगार हुए हैं और सरकार को राजस्व का नुकसान होगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2017 के दिल्ली निगमों के चुनाव घोषणापत्र में यह वादा किया था कि एक बार कन्वर्जन शुल्क की अदायगी करने पर सीलिंग नहीं होगी और इन्हें नियमित कर दिया जायेगा लेकिन अब बताया जा रहा है कि जिन लोगों ने कन्वर्जन शुल्क का भुगतान भी कर दिया है उनकी संपत्तियों को भी सील कर दिया गया।
पत्र की प्रतिलिपि उपराज्यपाल अनिल बैजल और केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी को भेजते हुए
दीक्षित ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि सीलिंग के प्रभावित होने वाले सभी पक्षों और राजनीतिक दलों की
एक बैठक बुलाकर जल्द से जल्द इस मसले का हल किया जा सके जिससे की व्यापारियों, छोटे कारोबारियों और पेशेवरों को राहत मिले और जो इन संस्थानों में काम करते हैं, उनका रोजगार बच सके।


