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सिंधिया समर्थक विधायको का दिल्ली में धरना

ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में 25 से ज्यादा विधायक दिल्ली पहुंच गए हैं और वे सिंधिया के आवास पर ही धरने पर बैठ गए हैं

सिंधिया समर्थक विधायको का दिल्ली में धरना
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नई दिल्ली/भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकार बनाने का न्योता मिलने के बाद कांग्रेस के भीतर सत्ता का संग्राम तेज हो गया है। मुख्यमंत्री पद के एक दावेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में 25 से ज्यादा विधायक दिल्ली पहुंच गए हैं और वे सिंधिया के आवास पर ही धरने पर बैठ गए हैं। राज्य में कांग्रेस बहुमत के करीब पहुंच गई है और समर्थन भी मिल गया है। मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार थे, जिसमें पार्टी हाईकमान ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान कर दिया है। कमलनाथ 17 दिसंबर को शपथ लेने वाले हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के निर्वाचित विधायकों में से 25 सदस्य दिल्ली पहुंच गए हैं। ये सभी सिंधिया को उपमुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं।

सिंधिया के दिल्ली स्थित आवास पर पहुंचे निर्वाचित सदस्यों में शामिल इमरती देवी ने सिंधिया से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने की अपील की। उनका कहना है कि राज्य के मतदाताओं ने कांग्रेस को वोट इसलिए दिया है कि सिंधिया राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे।

प्रचार अभियान समिति के संयोजक और दिल्ली में सिंधिया आवास पर मौजूद मनीष राजपूत ने आईएएनएस से दूरभाष पर कहा कि राज्य के बड़े हिस्से में सिंधिया को भावी मुख्यमंत्री मानकर मतदाताओं ने वोट दिया है, पार्टी हाईकमान का फैसला सभी को मंजूर है, मगर विधायकों की मांग है कि सिंधिया को पार्टी की प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बनाया जाए। यह विधायकों की भावनाएं हैं, अपनी भावना व्यक्त करने का सभी को अधिकार है और दिल्ली भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं। लिहाजा, पार्टी हाईकमान को इस पर विचार करना चाहिए।

सूत्रों का कहना है कि निर्वाचित कई विधायक तो शपथ न लेने तक जिद पर अड़ गए हैं। इतना ही नहीं, कई विधायक तो इस्तीफे तक की बात कह रहे हैं। अगर पांच सदस्य भी शपथ नहीं लेते हैं तो कांग्रेस के लिए बहुमत हासिल करना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि कांग्रेस के पास बहुमत से दो संख्या कम है यानी 116 के स्थान पर कांग्रेस के पास सिर्फ 114 सदस्य ही हैं।

बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन के चलते यह आंकड़ा 121 तक पहुंचा है। अगर किसी तरह की पाला बदल की स्थिति बनती है तो निर्दलीय विधायकों में से कुछ सबसे पहले पाला बदलेंगे। इस स्थिति से निपटना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो जाएगा।



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