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सिंधिया समर्थक भाजपा विधायक की जाएगी विधायकी, फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में कोर्ट ने दिया आदेश
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में अशोकनगर के भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी के अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र को गलत ठहराया है।

गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में अशोकनगर के भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी के अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र को गलत ठहराया है। और उनके खिलाफ गलत जाति प्रमाण पत्र के आधार पर सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ने को लेकर पुलिस में आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही निवर्तमान विधायक जजपाल सिंह जज्जी के खिलाफ 50,000 रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को भी पत्र भेज जज्जी के चुनाव को अवैध घोषित करने को कहा है।
याचिका 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान निकटतम प्रतिद्वंदी और भाजपा नेता लड्डू राम कोरी ने कांग्रेस के चुनाव जीत चुके जजपाल सिंह जज्जी के जाति प्रमाण पत्र को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस बीच केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब भाजपा का दामन थामा तो उनके नजदीकी माने जाने वाले जज्जी भी अपने नेता के साथ मार्च 2020 में भाजपा में शामिल हो गए थे। लेकिन उनके खिलाफ भाजपा नेता कोरी द्वारा चुनाव याचिका हाईकोर्ट में लंबित रही। इस दौरान जज्जी भाजपा के टिकट पर 2020 में हुआ उपचुनाव भी जीत चुके थे। याचिकाकर्ता लड्डूराम कोरी का आरोप था कि पंजाब में कीर जाति को अनुसूचित जाति का आरक्षण मिलता है लेकिन मध्यप्रदेश में इस जाति को अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाले आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। भाजपा के विधायक जजपाल सिंह ने यही अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र उपचुनाव के दौरान भी लगाया था।
चुनाव आयोग के अधिवक्ता संगम जैन ने लड्डू राम कोरी की याचिका के साथ जज्जी के जाति प्रमाण पत्रों को भी सुनवाई के दौरान संलग्न किया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद गलत जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ने वाले जज्जी का चुनाव अब स्वत: शून्य घोषित हो गया है। इस मामले में सबसे दिलचस्प बात यह है कि वर्तमान समय मे फरियादी लड्डू राम और आरोपी जजपाल सिंह दोनो ही भाजपा में है। मतलब भाजपा के नेता ने ही भाजपा के विधायक की कलई खोल दी है। आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी करने के तो कई मामले सामने आए हैं। लेकिन किसी विधायक के विरुद्ध फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला सम्भवतः पहली बार साबित हुआ है।
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