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माइक्रोसॉफ्ट, गूगल समेत दिग्गज अमेरिकी कंपनियां भारत के टेक सेक्टर पर पानी की तरह बहा रही पैसा : अमेरिकी मीडिया

अमेरिका की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियां भारत में अरबों डॉलर का निवेश कर रही हैं। इसकी वजह देश का डेटा सेंटर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक अहम ग्लोबल हब के तौर पर उभरना है

माइक्रोसॉफ्ट, गूगल समेत दिग्गज अमेरिकी कंपनियां भारत के टेक सेक्टर पर पानी की तरह बहा रही पैसा : अमेरिकी मीडिया
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वॉशिंगटन। अमेरिका की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियां भारत में अरबों डॉलर का निवेश कर रही हैं। इसकी वजह देश का डेटा सेंटर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक अहम ग्लोबल हब के तौर पर उभरना है। यह जानकारी अमेरिकी मीडिया की एक रिपोर्ट में शनिवार को दी गई।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा कि इस निवेश को माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन, गूगल और मेटा जैसी कंपनियां लीड कर रही हैं।

रिपोर्ट में बताया गया कि माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोजेक्ट्स के लिए 17.5 बिलियन डॉलर निवेश करने का वादा किया है, जबकि अमेजन ने अगले पांच सालों में पूरे देश में एआई-आधारित पहलों में 35 बिलियन डॉलर निवेश करने की घोषणा की है।

गूगल ने भारतीय कंपनियों अदाणी ग्रुप और भारती एयरटेल के साथ पार्टनरशिप के जरिए डेटा सेंटर के लिए 15 बिलियन डॉलर निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। मेटा भी गूगल की प्लान की गई जगहों के पास एक बड़ी फैसिलिटी बना रहा है, साथ ही दूसरे भारतीय इंडस्ट्रियल ग्रुप भी कई प्रोजेक्ट्स के जरिए निवेश कर रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि इन सभी निवेश को मिला दिया जाए तो अमेरिकी कंपनियों ने भारत के टेक सेक्टर में करीब 67.5 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया है। यह देश में एक अकेले सेक्टर में देखा गया अब तक का सबसे बड़ा निवेश है।

मुंबई में एएसके वेल्थ एडवाइजर्स के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सोमनाथ मुखर्जी के हवाले से द न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा, "यह भारत में अब तक के सबसे बड़े सिंगल-सेक्टर इन्वेस्टमेंट में से एक होने वाला है।"

कंपनियां भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था और बड़े यूजर बेस पर दांव लगा रही हैं। देश में दुनिया का लगभग 20 प्रतिशत डेटा है, लेकिन ग्लोबल स्टोरेज कैपेसिटी का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है।

मुखर्जी ने कहा, "भारत दुनिया में डेटा का सबसे बड़ा कंज्यूमर है, लेकिन उसके पास अमेरिकी डेटा कैपेसिटी का मुश्किल से पांच प्रतिशत ही है।"

रिपोर्ट में बताया गया है कि यह बढ़ोतरी वॉशिंगटन और नई दिल्ली के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव के बावजूद हुई है, जिसमें इस साल की शुरुआत में अमेरिका द्वारा लगाए गए ऊंचे टैरिफ भी शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार, जो विदेशी सर्वर पर निर्भरता से बचना चाहती है, उसने डेटा को स्थानीय स्तर पर स्टोर करने के नियमों पर भी विचार किया है। 2018 से, अधिकारियों ने ऐसे कानूनों पर विचार किया है जो डिजिटल सेवाओं को देश के अंदर सर्वर पर आधारित होने के लिए अनिवार्य करते हैं, और बैंक और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पहले से ही ऐसी जरूरतों के अधीन हैं।


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