विज्ञान का उपयोग मानव जीवन की ऊंचाइयों को छूने के लिए होना चाहिए: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल आम लोगों के हितों में करने आह्वान किया

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल आम लोगों के हितों में करने आह्वान करते हुए आज कहा कि विज्ञान का उपयोग मानव-मात्र कल्याण और मानव जीवन की सर्वोच्च ऊंचाइयों को छूने के लिए होना चाहिए।
मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 41 वें संस्करण में कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल दिव्यांगों के जीवन का सुगम बनाने के लिए किया जाना चाहिए। इसका इस्तेमाल प्राकृतिक आपदा और किसानों की पैदावार का अनुमान लगाने तथा स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच आसान बनाने और आधुनिक तरीके से बीमारियों के इलाज़ में सहायक बनाने के लिए भी हो सकता है।
उन्होेंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल गरीबों और वंचितों तथा जरुरतमंदों का जीवन आसान बनाने के लिए किया जाना चाहिए।
अहमदाबाद में ‘आई क्रियेएट’ आयोजन का जिक्र करते हुए कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का अपना कोई नैतिक आधार नहीं होता है बल्कि यह उसका इस्तेमाल करने वाले पर निर्भर करता है। ऐसी स्थिति में मानवीय-उद्धेश्य महत्वपूर्ण हो जाता है। विज्ञान का इस्तेमाल मानव-मात्र कल्याण और मानव जीवन की सर्वोच्च ऊंचाइयों को छूने के लिए होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने 28 फरवरी को होने वाले राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की बधाई देते हुए थामस एडीसन अल्वा, महर्षि अरबिन्दो, भारत-रत्न सर सी.वी. रमन, महान गणितज्ञ बोधायन, भास्कर, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट का उल्लेख करते हुए कहा, “ हमारी युवा-पीढ़ी, सत्य और ज्ञान की खोज़ के लिए प्रेरित हो, विज्ञान की मदद से समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित हो, इसके लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ हैं।”
उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में सुश्रुत और चरक देश का गौरव हैं। सर जगदीश चन्द्र बोस और हरगोविंद खुराना से लेकर सत्येन्द्र नाथ बोस जैसे वैज्ञानिको पर भारत को गर्व हैं।


