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अंबेडकर यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ वोकेशनल स्टडीज, करमपुरा कैंपस का शुभारंभ

अंबेडकर यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ वोकेशनल स्टडीज के कर्मपुरा कैंपस की शुरुआत आज दिल्ली के उपमुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने की

अंबेडकर यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ वोकेशनल स्टडीज, करमपुरा कैंपस का शुभारंभ
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नई दिल्ली। अंबेडकर यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ वोकेशनल स्टडीज के कर्मपुरा कैंपस की शुरुआत आज दिल्ली के उपमुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने की। वोकेशनल प्रोग्राम्स के तहत यहां टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी, रिटेल मैनेजमेंट, अर्ली चाइल्डहुड सेंटर मैनेजमेंट एंड एन्टरप्रेनेयोरशिप शुरू किए जा रहे हैं।

इस मौके पर मनीष सिसोदिया ने कहा कि इन कोर्सेस में मल्टीपल एंट्री एंड मल्टीपल एक्जिट की सुविधा है और हमारे देश में ये एक नया कॉन्सेप्ट है। अब आप किसी कोर्स में एडमिशन लेने के बाद अपने मन, स्थिति-परिस्थिति के हिसाब से कोर्स पूरा कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि यदि बीच में कोर्स छोडऩा चाहें तो सर्टिफिकेट, डिप्लोमाए एडवांस डिप्लोमा लेकर जा सकते हैं और फिर कुछ साल बाद जब भी लगे तो वापस आकर अपनी डिग्री पूरी कर सकते हैं। अंबेडकर यूनिवर्सिटी के ये सभी वोकेशनल कोर्सेस तीन साल के हैं। तीन साल का कोर्स पूरा करने के बाद स्टूडेंट्स को बैचलर इन वोकेशनल की डिग्री दी जाएगी।

लेकिन अगर कोई स्टूडेंट छह महीने यानी एक सेमेस्टर के बाद भी कोर्स एक्जिट करना चाहे तो उसे सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा। इसी तरह अगर कोई स्टूडेंट किसी कारण से दो सेमेस्टर के बाद कोर्स से एक्जिट कर जाता है तो उसे डिप्लोमा दे दिया जाएगा। अगर कोई स्टूडेंट तीन और चार सेमेस्टर पूरा कर लेता हैए मतलब उसकी 2 साल की पढ़ाई पूरी हो जाती है तो कोर्स से एक्जिट करने की स्थिति में उसे एडवांस्ड डिप्लोमा मिल जाएगा।

इस मौके पर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने अर्ली चाइल्डहुड केयर पर भी बात की। उन्होंने कहा कि छह साल की उम्र से पहले बच्चे के सोचने समझने की क्षमता आधी विकसित हो जाती है। ऐसे में जब वो स्कूल में पहुंचता है तो अर्ध विकसित मस्तिष्क के साथ आता है। लेकिन हम लोग उसके मस्तिष्क को विकसित करने के ये जरूरी साल हम खो देते हैं। हालांकि कुछ बच्चों को लोग प्ले स्कूल्स और नर्सरी इत्यादि में भेजते हैं लेकिन वहां भी बच्चों को रटाने का काम किया जाता है।

ये प्ले स्कूल इत्यादि भी बच्चों को स्कूल एडमिनशन के लिए किसी तरह तैयार करने की फैक्ट्री बनकर रह गये हैं। हम अपने देश में अर्ली चाइल्डहुड केयर पर ध्यान नहीं दे पाते जबकि ये बहुत जरूरी है। ये राष्ट्र निर्माण का काम है। सिसोदिया ने कहा कि अब हमारे देश में इसके प्रति काफी जागरूकता बढ़ रही है। इसलिए आने वाले वक्त में अर्ली चाइल्डहुड केयर की दिशा में काम करने के लिए बहुत ज्यादा रिसोर्स पर्सन की जरूरत पडऩे वाली है। ऐसे में अंबेडकर यूनिवर्सिटी का अर्ली चाइल्डहुड केयर का ये कोर्स इस क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देगा।


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