दुष्कर्म पीड़िता को दाखिला देने के लिए स्कूल की 'असंवेदनशील’ शर्त
दसवीं में पढऩे वाली दुष्कर्म पीड़िता के साथ स्कूल प्रशासन द्वारा कथित भेदभाव के मामले में दिल्ली महिला आयोग ने संज्ञान लेते हुए शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर दिया है

नई दिल्ली। दसवीं में पढऩे वाली दुष्कर्म पीड़िता के साथ स्कूल प्रशासन द्वारा कथित भेदभाव के मामले में दिल्ली महिला आयोग ने संज्ञान लेते हुए शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर दिया है। दरअसल, स्कूल ने दुष्कर्म पीड़िता के अभिभावकों के सामने शर्त रखी कि उनकी बेटी को 11वीं कक्षा में तभी दाखिला मिलेगा, यदि वह स्कूल नहीं आएगी क्योंकि स्कूल को ऐसा लगता है कि लड़की के रोजाना स्कूल आने से उनके स्कूल की बदनामी हो सकती है।
स्कूल प्रशासन ने दूसरी शर्त यह भी रखी है कि पीड़िता की स्कूल में सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी नहीं होगी। बता दें कि इस लड़की का अपहरण कर चलती कार में दुष्कर्म करके उसे सड़क पर फेंक दिया गया था।
पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली महिला आयोग की ओर से शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया गया है, और पूरे मामले में विभाग से कार्यवाही कर पांच दिन में रिपोर्ट देने की बात कही गई है।
दिल्ली महिला आयोग के सूत्रों के मुताबिक, यह एक निजी स्कूल है और अगर विभाग की ओर से लापरवाही हुई, तो आयोग खुद कदम उठाएगा। दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष स्वाती जयहिंद ने बताया किएक दसवीं कक्षा की छात्रा को उस गलती की सजा मिल रही है, जो उसने की ही नहीं है।
पीड़िता के परिजनों ने बताया किस्कूल ने उनकी बेटी की स्कूल बस भी बंद कर दी है और उन्हें ही अपनी बेटी को स्कूल ले जाना पड़ता और लाना भी पड़ता है। लड़की के अभिभावकों का आरोप है कि इससे पहले स्कूल की प्रधानाचार्य यह भी बोल चुकी हैं कि उनकी बेटी की वजह से उनके स्कूल की छवि खराब हो सकती है।


