Top
Begin typing your search above and press return to search.

किसान आंदोलन: किसान पक्ष की गैरमौजूदगी के चलते सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली

आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर सनवाई टल गई

किसान आंदोलन: किसान पक्ष की गैरमौजूदगी के चलते सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली
X

नई दिल्ली। आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई टल गई है। केंद्र सरकार व्दारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान सड़कों पर पिछले 21 दिन से आंदोलन कर रहे हैं और अब इन किसानों को सड़क से हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई है। किसानों को हटाने को लेकर दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई हैं। चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाली बेंच ने साफ कहा कि हम किसानों की गरमौजूदगी में कोई फैसला नहीं ले सकते इसलिए ये सुनवाई टाली जा रही है।

वैसे आपको बता दें कि चीफ जस्टिस ने आज कई सवाल-जवाब किए और साथ ही कुछ निर्देश भी दिए। आज तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुरुआती सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल सरकार द्वारा लाए गए इन तीन नए कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज हम जो पहली और एकमात्र चीज तय करेंगे, वो किसानों के विरोध प्रदर्शन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर है। चीफ जस्टिस ने सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी कानून के खिलाफ प्रदर्शन करना नागरिक का मौलिक अधिकार है। किसी के अधिकारों को हम खत्म नहीं कर सकते इसलिए इस आंदोलन को रोकने का कोई सवाल नहीं है। उन्होंने कहा कोर्ट केवल एक चीज जिस पर गौर कर सकती हैं, वह यह कि इससे किसी के जीवन को नुकसान न हो।

सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रस्तावित समिति इस समस्या का हल निकालेगी क्योंकि सरकार किसानों से बात करके इसका हल नहीं निकाल पाई है। उन्होंने कहा कि समिती एक निरणय करेगी जिसका पालन सरकार और किसानों दोनों को करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि समिति के गठन और निर्णय तक किसानों का ये आंदोलन जैसे का तस चल सकता है।

आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रास्ता रोकने वाली दलील पर आगे कहा कि किसानो के प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन कैसे ये सवाल है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें ये देखना होगा कि किसान अपना प्रदर्शन भी करे और लोगों के राइट्स का उल्लंघन न हो। उन्होंने आगे कहा कि हम "राइट टू प्रोटेस्ट" के अधिकार में कटौती नही कर सकते।

चीफ जस्टिस ने साफ कहा कि किसान आंदोलन करें ये उनका अधिकार है लेकिन सिर्फ धरने पर बैठना उचित नहीं। इसका हल निकालने के लिए बातचीत भी जरुरी है। उन्होंने आगे कहा किसानों को बड़ी संख्या में दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं, यह पुलिस का फैसला होगा, न अदालत का और न कि सरकार का जिसका आप विरोध कर रहे हैं।

अंत में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि प्रस्तावित समिति ही अब इसका हल निकालेगी और उस निर्णय का दोनों पक्ष पालन करेंगे। इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने कहा कि आज किसानों का पक्ष कोर्ट में मौजूद नहीं है और इसलिए हम इस मामले को अगली सुनवाई तक टाल रहे हैं।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it