Top
Begin typing your search above and press return to search.

 दिल्ली हाई कोर्ट को मिला सोनू सरदार की अपील पर सुनवाई का अादेश 

उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय को पांच लोगों की हत्या के दोषी सोनू सरदार की अपील पर दो महीने के अंदर सुनवाई करने और उसे निपटाने का आदेश दिया है।

 दिल्ली हाई कोर्ट को मिला सोनू सरदार की अपील पर सुनवाई का अादेश 
X

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय को पांच लोगों की हत्या के दोषी सोनू सरदार की अपील पर दो महीने के अंदर सुनवाई करने और उसे निपटाने का आदेश दिया है। न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के शीर्ष वकील एवं एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और छत्तीसगढ़ सरकार के वकील अतुल झा की दलीलें सुनने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय को सोनू सरदार की अपील दो महीने के अंदर निपटाने का आदेश दिया।

शीर्ष अदालत ने गत 12 दिसंबर को सवाल उठाया था कि उच्च न्यायालय ने किस आधार पर सोनू सरदार के मृत्युदंड पर रोक लगायी जिसने 26 नवंबर 2004 को छत्तीसगढ के बैकुंठपुर गांव में डकैती के प्रयास के दौरान एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या की थी।

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को दुर्लभ से दुर्लभतम करार देते हुए सोनू को मौत की सजा सुनायी थी। छत्तीसगढ सरकार के वकील अतुल झा ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है और इसकी सुनवाई उच्चतम न्यायालय में होनी चाहिए।

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सोनू की दया याचिका ठुकरा दी थी। उसकी समीक्षा की अपील उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दी जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर मृत्युदंड पर रोक लगाने की गुहार की। गत वर्ष नवंबर में भी उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा था कि वह छत्तीसगढ सरकार की उस याचिका पर निर्णय करे जिसमें इस मामले की सुनवाई और सोनू के मृत्युदंड पर रोक लगाने के उसके(दिल्ली उच्च न्यायालय) अधिकार काे चुनौती दी गयी थी।

साेनू को छत्तीसगढ़ की एक त्वरित अदालत ने मौत की सजा सुनायी थी जिसे बाद में राज्य के उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो मार्च 2015 को इस सजा पर रोक लगा दी। उसके फैसले को चुनौती देते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय को दोषी की सजा पर रोक लगाने का कोई हक नहीं है क्योंकि यह मामला छत्तीसगढ़ का है। केवल सोनू की दया याचिका पर फैसला होने में विलंब के कारण यह मामला दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आ जाता।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it