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सावरकर जी ने पिंजरे में आत्मबल गीत लिखा, ब्रिटिश सरकार की जीत नहीं होने दी : रंजीत सावरकर

स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर द्वारा लिखित प्रेरणादायक गीत 'अनादि मी, अनंत मी' को महाराष्ट्र सरकार द्वारा घोषित पहला 'छत्रपति संभाजी महाराज राज्य प्रेरणा गीत पुरस्कार' प्रदान किया गया

सावरकर जी ने पिंजरे में आत्मबल गीत लिखा, ब्रिटिश सरकार की जीत नहीं होने दी : रंजीत सावरकर
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मुंबई। स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर द्वारा लिखित प्रेरणादायक गीत 'अनादि मी, अनंत मी' को महाराष्ट्र सरकार द्वारा घोषित पहला 'छत्रपति संभाजी महाराज राज्य प्रेरणा गीत पुरस्कार' प्रदान किया गया। यह सम्मान वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने गृह मंत्री अमित शाह के हाथों वर्षा बंगले में आयोजित एक विशेष समारोह में ग्रहण किया। पुरस्कार मिलने के बाद वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर और पोती असीलता ने प्रसन्नता जाहिर की।

वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज राज्य प्रेरणा गीत पुरस्कार की शुरुआत की, जिसके तहत वीर सावरकर जी की रचित कविता 'आत्मबल' को सम्मानित किया गया। इस गीत की पृष्ठभूमि यह है कि मार्सिले में सावरकर जी ने जहाज से छलांग लगाकर बंदरगाह पहुंचने के बाद ब्रिटिशों द्वारा अवैध गिरफ्तारी का सामना किया। उन्हें 8 तारीख को पकड़ा गया और 16 तारीख को दूसरे जहाज पर चढ़ाया गया, जहां 4x4 फीट के पिंजरे में उन्हें बंद रखा गया। मुंबई पहुंचने तक 6-7 दिनों तक मानसिक और शारीरिक अत्याचार झेलने के बाद, उन्होंने आत्महत्या के विचार को खारिज किया, क्योंकि यह ब्रिटिशों की जीत और स्वतंत्रता संग्राम में एक सैनिक की कमी होती। इस संकल्प को दृढ़ करने के लिए उन्होंने 'आत्मबल' गीत लिखा।

उन्होंने कहा कि अंडमान की 11x7 फीट की कोठरी की तुलना में रत्नागिरी की 8x6 फीट की कोठरी में तीन साल तक और भी कठिन परिस्थितियों का सामना किया। इस दौरान उनके कई साथियों का मानसिक संतुलन बिगड़ा और कुछ ने आत्महत्या की। लेकिन, सावरकर जी ने अपनी कविता से न केवल खुद को बल्कि दूसरों को भी प्रेरित किया। यह कविता आज भी युवाओं के लिए प्रेरणादायी है और सरकार का यह पुरस्कार देशहित में है। उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार की घोषणा दो महीने पहले हुई थी और इसे गृहमंत्री अमित शाह के हाथों वर्षा बंगले में प्रदान किया गया, क्योंकि मौसम की खराबी और पद्म पुरस्कार वितरण के कारण निर्धारित विश्वविद्यालय कार्यक्रम रद्द हो गया। सावरकर जी हमेशा राज्यकर्ताओं को व्यावहारिक दर्शन के साथ सचेत करते थे, लेकिन उनकी बात पहले नहीं सुनी गई। आज 'ऑपरेशन सिंदूर' उनकी विचारधारा का परिणाम है, जो सरकार ने अमल में लाया। यह गीत कई लोगों को प्रभावित करेगा।

उन्होंने आगे कहा कि सावरकर परिवार ने कभी कुछ नहीं मांगा। जनता ने उन्हें 'स्वतंत्र वीर' की उपाधि दी, जो हमारे लिए सर्वोच्च है। सरकार यदि इस उपाधि को अधिकृत करे, तो यह और बेहतर होगा। कुछ लोग ध्रुवीकरण के लिए सावरकर जी को गलत ठहराते हैं। लेकिन, उनके खिलाफ पुणे और अन्य जगहों पर केस दर्ज किए गए हैं और वारंट जारी हुए हैं। 'ऑपरेशन सिंदूर' राष्ट्रीय अभियान है।

रंजीत सावरकर ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने 2025 में छत्रपति संभाजी महाराज राज्य प्रेरणा गीत पुरस्कार शुरू किया और इसके पहले साल में दादाजी वीर सावरकर की कविता 'आत्मबल' (अनामि अनंतमि अवधिमि बला) को चुना गया। यह हमारे लिए गर्व का विषय है, और विशेष रूप से यह गर्व की बात है कि यह पुरस्कार अमित शाह जी के हाथों मिला। उन्होंने 1980 में इस गीत पर एक घंटे का व्याख्यान दिया था, जिसमें बताया कि जब दादाजी को मुंबई लाते समय पिंजरे में बंद किया गया, तब उनका मनोबल गिर गया था। इस कविता ने उनका आत्मबल बढ़ाया और जीवन भर उन्हें प्रेरित किया। इस पुरस्कार से हमें बहुत खुशी हुई।

विपक्ष द्वारा सावरकर पर की गई टिप्पणियों पर उन्होंने कहा कि जनता पहले ही जवाब दे चुकी है। महाराष्ट्र में उनकी पार्टी की दुर्दशा इसकी गवाही देती है। उनकी नीति है कि मुस्लिम समुदाय का ध्रुवीकरण करने के लिए सावरकर जी को अपमानित करना जरूरी है। वे बेतुकी बातें करते हैं। ऐसी बातों का जवाब देना जरूरी नहीं है। लेकिन, जब उन्होंने सावरकर जी को देशद्रोही कहा, तब मैंने इसके खिलाफ मुकदमा दायर किया। मेरे चचेरे भाई ने पुणे में केस दर्ज किया, और सावरकर जी के अनुयायियों ने तीन अन्य जगहों पर मुकदमे दायर किए। सभी मामले में उनके खिलाफ वारंट जारी हो चुके हैं।

वहीं, भारत की सैन्य कार्रवाई 'ऑपरेशन सिंदूर' और उस पर की जा रही राजनीति को लेकर उन्होंने कहा कि यह एक राष्ट्रीय अभियान है, जिसमें किसी पार्टी का सवाल नहीं है। जब बाहरी शत्रु से खतरा हो, तो हमें एकजुट होना चाहिए, लेकिन कांग्रेस के लोग ऐसा नहीं करते। मुझे लगता है कि वे बाहरी ताकतों से प्रभावित हैं। उनके पाकिस्तान, चीन, या तुर्की से संबंध खुलकर सामने आ रहे हैं। वे जो कर रहे हैं, वह उनकी अपनी बदनामी का कारण बन रहा है। जनता को इनकी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। राहुल गांधी और उनके सहयोगियों की बुद्धि और रणनीतिक समझ का अंदाजा ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों की बात से लगाया जा सकता है, जो खुलकर कहते हैं कि भारत की पूरी जीत हुई है।

वीर सावरकर की पोती असीलता ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने 2025 में छत्रपति संभाजी महाराज राज्य प्रेरणा गीत पुरस्कार की शुरुआत की है और इसके पहले वर्ष में मेरे दादाजी वीर सावरकर की कविता 'आत्मबल' को यह पुरस्कार प्रदान किया गया। यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है, और इससे भी अधिक गर्व का क्षण यह है कि यह पुरस्कार हमें गृहमंत्री अमित शाह जी के हाथों मिला। हम सावरकर परिवार के सदस्यों के साथ-साथ स्वतंत्र वीर सावरकर स्मारक के पदाधिकारी भी थे। अमित शाह जी ने हमसे बहुत अच्छी बातचीत की और गर्व के साथ बताया कि 1980 में उन्होंने इस गीत पर एक घंटे का व्याख्यान दिया था। उन्होंने लोगों को समझाया था कि जब दादाजी को लंदन से मुंबई लाते समय पिंजरे जैसे सेल में जकड़कर रखा गया, तब उनका मनोबल बहुत कमजोर हो गया था। उस कठिन समय में उन्होंने 'आत्मबल' कविता लिखकर अपने मनोबल को फिर से जागृत किया और उसी के सहारे वे जीवन भर आगे बढ़ते रहे। मुझे बहुत खुशी है कि यह ट्रॉफी और पुरस्कार उनके हाथों हमें प्राप्त हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि हमारा सावरकर परिवार कभी भी सरकार से कुछ मांगने वाला नहीं रहा। न मेरे दादाजी ने, न उनके बड़े भाई ने, न छोटे भाई ने, और न ही हमारी पहली पीढ़ी ने कुछ मांगा। हमारा घर, जमीन सब कुछ सरकार ने जब्त कर लिया था, लेकिन स्वतंत्रता मिलने के बाद भी हमने कुछ वापस नहीं मांगा। इस पुरस्कार की भी हमने कोई मांग नहीं की। जनता ने दादाजी को 'स्वतंत्र वीर' की उपाधि दी है, जो हमारे लिए सर्वोच्च सम्मान है। यदि सरकार इस उपाधि को अधिकृत करती है, तो यह और बेहतर होगा। स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी को सही ढंग से पढ़ा जाना चाहिए।


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