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स्वीडन में क्यों भड़के हुए हैं मुसलमान?

स्वीडन में सोमवार को तीसरे दिन भी हिंसा जारी रही जिसके चलते पुलिस ने गोली चलाई और तीन लोग घायल हो गए.

स्वीडन में क्यों भड़के हुए हैं मुसलमान?
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स्वीडन के पूर्वी हिस्से में यह हिंसा हो रही है. कई गाड़ियों को फूंक दिया गया और बाजारों में तोड़फोड़ की गई. हिंसा तब शुरू हुई जब दक्षिणपंथी नेता रासमुस पैलुदान ने इस्लाम की पवित्र किताब कुरान जलाने की बात कही. उन्होंने रैली करके कुरान जलाई और अपनी तस्वीरें प्रसारित कीं. पैलुदान आप्रवासन और इस्लाम विरोधी नीतियों के लिए चर्चित रहे हैं. उन्होंने स्ट्राम कुर्स (हार्ड लाइन) नाम का एक संगठन बना रखा है, जो मुख्यतया इस्लाम विरोधी है. पिछले हफ्ते इस संगठन ने इस्लाम विरोधी बयान दिए थे.

स्थानीय अखबार आफ्टनब्लाडेट ने लिखा है कि सोमवार को नोर्कोपिंग शहर में पुलिस पर पथराव कर रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गोलियां चलाईं. पैलुदान ने शहर में एक रैली करने की बात कही थी जिसके विरोध में भारी भीड़ जमा हो गई. हालांकि पुलिस ने इस भीड़ को वापस जाने को कहा लेकिन अधिकारियों के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने उनकी बात नहीं सुनी और पथराव कर दिया.

पुलिस ने अपनी वेबसाइट पर जारी एक बयान में कहा, "खुद पर हमला होने के बाद पुलिस अफसरों ने चेतावनी के लिए कई गोलियां चलाईं. तीन लोग घायल हुए हैं जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. तीनों घायलों को अपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया." आफ्टनब्लाडेट के मुताबिक अब तक 11 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है.

"दक्षिणपंथी बेवकूफ"

आफ्टनब्लाडेट को दिए एक इंटरव्यू में स्वीडन के न्याय मंत्री मॉर्गन योहैनसन ने प्रदर्शनकारियों से कहा था, "फौरन घर लौट जाएं." योहैनसन ने पैलुदीन की भी आलोचना की थी. उन्होंने पैलुदीन को ऐसा ‘दक्षिणपंथी बेवकूफ' बताया था "जिसका मकसद हिंसा भड़काना और दरार पैदा करना है."

ताकि होलोकॉस्ट को कभी भुलाया ना जाए

योहैनसन ने कहा "स्वीडन एक लोकतंत्र है और लोकतंत्र में बेवकूफों को भी अभिव्यक्ति की आजादी होती है. जो पुलिस पर हमला करते हैं वे अपराधी हैं. सख्ती बरतने के अलावा उनके साथ निपटने का कोई जरिया नहीं है.”

एक अन्य शहर लिंकोपिंग में भी इसी तरह के हिंसक प्रदर्शन हो चुके हैं. वहां भी पैलुदान ने रैली करने की बात कही थी जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी और प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ की व कई वाहनों को आग लगा दी थी. आफ्टनब्लाडेट ने लिखा था कि हालात अचानक ही बहुत खराब हो गए जब सैकड़ों लोगों की भीड़ सड़कों पर निकल आई, जिनमें ज्यादातर युवा थे. पुलिस ने 14 लोगों को गिरफ्तार किया था.

यह हिंसा देश के कई शहरों में फैल चुकी है. दूसरे सबसे बड़े शहर माल्मो में शनिवार को कई वाहनों को आग लगा दी गई और तोड़फोड़ की गई. उससे पहले शुक्रवार को केंद्रीय स्वीडन के शहर ओरेबरो में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुई थीं जिनमें नौ पुलिसकर्मी घायल हो गए थे.

इस्लामिक देशों ने जताई आपत्ति

इराक, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब समेत कई इस्लामिक देशों ने स्वीडन में कुरान जलाने की घटना की आलोचना की है. सऊदी अरब ने एक बयान जारी कर कहा कि पैलुदान की गतिविधियां "कुरान का जानबूझ कर अपमान" है.

आउशवित्स का भयानक इतिहास

सऊदी शासन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "कुरान को जलाना स्वीडन के कुछ अतिवादियों की मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ कार्रवाई है. मिलजुल कर संवाद, सहिष्णुता और सहअस्तित्व के मूल्यों का प्रचार किए जाने की जरूरत है ताकि नफरत और अतिवाद को खारिज किया जा सके और किसी भी धर्म के पवित्र चिह्नों के अपमान को रोका जा सके." इराक और यूएई ने अपने यहां तैनात स्वीडन के राजदूतों को बुलाकर आपत्ति दर्ज कराई है.

क्या है स्ट्राम कुर्स

स्वीडन के दक्षिणपंथी दल स्ट्राम कुर्स के नेता रासमुस पैलुदान के बयानों के बाद देश में यह हिंसा हो रही है. स्ट्राम कुर्स यानी हार्ड लाइन नाम का यह दल एक दक्षिणपंथी दल है जिसकी मुख्य नीति प्रवासियों और इस्लाम का विरोध है. हालांकि इस दल की स्थापना 2017 में डेनमार्क में हुई थी, जहां रासमुस पैलुदान वकालत करते हैं.

2020 में पैलुदान को नस्लवाद और कई अन्य आरोपों में एक महीने की जेल हुई थी. उससे पहले 2019 में डेनमार्क में हुए चुनावों में स्ट्राम कुर्स को 1.8 प्रतिशत मत मिले थे लेकिन कोई सीट नहीं मिली थी. सितंबर में स्वीडन में चुनाव होने हैं और पैलुदान की पार्टी वहां चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. हालांकि पैलुदान को चुनाव लड़ने के लिए जरूरी न्यूनतम दस्तखत अभी नहीं मिले हैं.

वीके/एए (डीपीए, एएफपी, एपी)


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