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कुसंग पाकर जो कामी बनता है, वहीं सत्संग पाकर प्रेमी बन जाता है- साध्वी आभा

अभिमानी ही ज्ञानी बनता है और ज्ञानी का पतन होता है तो सिर्फ अभिमान के कारण लोभ, सत्संग पाक र त्याग में बदल जाता है

कुसंग पाकर जो कामी बनता है, वहीं सत्संग पाकर प्रेमी बन जाता है- साध्वी आभा
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रायपुर। बीरगांव स्थित कैलाश नगर में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान छत्तीसगढ़ प्रदेश द्वारा आयोजित चार दिवसीय हरिकथा के तहत अंतिम दिन दिल्ली से आई साध्वी आभा भारती ने कहा कि हमारे विकार, बेकार नहीं है। कुसंग पाकर जो कामी बनता है वही सत्संग पाकर प्रेमी बन जाता है। क्रोध सत्संग के कारण बैराग्य बनता है। बैराग्य का पतन होता है तो वह क्रोध में बदल जाता है।

अभिमानी ही ज्ञानी बनता है और ज्ञानी का पतन होता है तो सिर्फ अभिमान के कारण लोभ, सत्संग पाक र त्याग में बदल जाता है। और त्यागी का पतन होने पर लोभ में बदल जाता है। लोभी आदमी ही त्यागी भी बनात है। हमारे विकार बेकार नहीं है ये कभी नष्ठ नहीं होते है। हमें सिर्फ इसका रूपांतरण करना पड़ाता है। जिस ह़दय में भगवान श्री हरि का निवास है उसी हृदय में हमारे षड़विकार काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह, मत्सर भी रहते है। इसलिए हनुमान विकारों से मुक्त होने के लिए एवं इसका रूपांतरण करने के लिए श्रीराम से प्रार्थना करते है कि आप धनुष-बाण लेकर हमारे हृदय में निवास करें। भगवान का भाव जब हमारे हृदय में निवास करता है तो यह षड़विकार अपना स्थान छोड़ देते है।

साध्वी आभा भारती ने श्री हरि की परम पावनी कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि भगवान की लीलाओं को देखकर भ्रम में पड़ जाती है। उनके लिए वे कुछ भी नहीं कर पाते क्योंकि भगवान की इच्छा बड़ी प्रबल है। जब प्रभु राम विरह की लीला करते है हएु पेड़-पौधे से पूछते है कि आपने मृग के सामान नैनो वाली सीता को देखा है । इस लीला को देखकर भगवान शिव दूर से प्रभु श्रीराम को जय सच्चिादानंद कहकर प्रणाम करते है वहीं मां सती भ्रम में पड़ जाती है कि जो सत चित और आनंद का स्वरूप है कि उसकी दशा ऐसी है। साध्वी आभा भारती ने कहा कि भगवान शंकर जैसा कोई धक्कड़ है न कोई पक्कड है। शिव विवाह की चर्चा करते हुए कहा कि तारकासुर से परेशान देवता ब्रम्हा, को लेकर शिव के पास जाकर उनसे कहते है कि वे अपने नेत्रों को आपका विवाह देखकर धन्य करना चाहते है। स्वार्थी अपने हित की कोई बात कहता है तो परमार्थी बनकर कहता है ।

देवताओं को शिव विवाह से कोई मतलब नहीं है वे तारकासुर से परेशान है तथा चाहते है कि भगवान शिव विवाह करें । उनके पुत्र पैदा हो और तारकासुर को मारकर राहत प्रदान करें। साध्वी श्री ने कहा कि बड़े-बड़े पर्दो पर बैठे आज के देवता तो जनता जनार्दन से कन्नी काटने लगते है। आज के इन बड़ो-बडो का बड़ा डर र बना रहता है कि हमसे कोई कुछ मांगने न आ जाए।

देवताओं को ङ्क्षचता हुई कि शिव ने काम को जला दिया और विवाह करते जा रहे शिव जी ने कहा सभी लोग काम की प्रेरणा से विवाह करते है पर श्रीराम की प्रेरणा से विवाह करने जा रहा हूं ।



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