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सर्वेश्वर एनीकट निविदा प्रक्रिया में नियमों का पालन किया: प्रमुख अभियंता

जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता ने आज यहां जारी  प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि सर्वेश्वर एनीकट निर्माण के लिए विभाग द्वारा निविदा प्रक्रिया में नियमों का पालन सुनिश्चित किया गया है

सर्वेश्वर एनीकट निविदा प्रक्रिया में नियमों का पालन किया: प्रमुख अभियंता
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रायपुर। जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता ने आज यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि सर्वेश्वर एनीकट निर्माण के लिए विभाग द्वारा निविदा प्रक्रिया में नियमों का पालन सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने बताया कि कोरबा शहर की जनता को पेयजल मुहैया कराने के लिए मिशन अमृत योजना के तहत सर्वेश्वर एनीकट का निर्माण कार्य 53 करोड़ रूपए की लागत से करवाने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा जल संसाधन विभाग को डिपाजिट मद में कार्य सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि कथित रूप से 41 करोड़ की निविदा को अस्वीकृत करने और 56 करोड़ की निविदा स्वीकृत करने की बात निराधार और भ्रामक है।

उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए मिनीमाता बांगो परियोजना कोरबा के कार्यपालन अभियंता द्वारा विज्ञापन जारी किया गया था, जिसमें पांच निविदाकारों ने भाग लिया। हसदेव बांगो परियोजना के मुख्य अभियंता द्वारा टेंडर खोलने की कार्रवाई सम्पन्न की गई। टेंडर खोलने की प्रक्रिया के दौरान यह तथ्य सामने आया किया जिन पांच निविदाकारों ने इसमें भाग लिया था, उनमें से तीन निविदाकारों द्वारा संलग्न अभिलेख अपूर्ण/त्रुटिपूर्ण पाए गए।

इसके फलस्वरूप नियमों के तहत तीन निविदाकारों की दरें नहीं खोली गई। शेष दो निविदाकारों के आवेदन नियमानुसार समस्त अभिलेखों के साथ सही पाए गए। इनमें डी. ठक्कर कन्सट्रक्शन प्राईवेट लिमिटेड और मेसर्स एस.ई. डब्ल्यू इंन्फ्रा स्ट्रक्चर शामिल थे। इनमें से डी. ठक्कर कन्सट्रक्शन प्राईवेट लिमिटेड की दर न्यूनतम (एल-वन) होने के कारण स्वीकृति दी गई। निविदा प्रक्रिया में जिन तीन निविदाकारों की दरें अपूर्ण/त्रुटिपूर्ण होने के कारण नहीं खोली गई थी, उनमें से एक निविदाकार आर.के. ट्रांसपोर्ट एवं कन्सट्रक्शन प्राईवेट लिमिटेड कोरबा ने माननीय उच्च न्यायालय में रिट याचिका क्रमांक 1200/2017 दायर की है, जो वर्तमान में उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है।

प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग ने उन खबरों को भ्रामक और त्रुटिपूर्ण बताया है, जिनमें कहा गया है कि 41 करोड़ रूपए की निविदा का अस्वीकृत कर उसके स्थान पर 56 करोड़ रूपए की निविदा मंजूर की गई है। उन्होंने कहा-यह पूर्णत: तथ्यहीन और निराधार है। पूर्ववर्ती मध्यप्रदेश के समय से ही निविदा पूर्व अर्हता के तहत निविदाकारों का परीक्षण करने का प्रावधान लागू है तथा जिन निविदाकारों के आवेदन पत्र सम्यक अभिलेखों द्वारा समर्थित नहीं होते और त्रुटिपूर्ण होते हैं, ऐसे निविदाकारों की दरों का लिफाफा नहीं खोला जाता है। इसलिए जो लिफाफा खोला ही नहीं गया, उसकी दर के आधार पर अनियमितता का सवाल ही नहीं उठता।


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