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बेरोजगारी की समस्या से मजबूर बीई,एमबीए डिग्रीधारी बेचेंगे शराब

सारंगढ़ ! आज से शराब की नयी नीति के तहत सरकारी तंत्र की देखरेख में शराब बेचने की प्रक्रिया शुरू हो रही है इसके लिए क्षेत्र के लगभग दो सौ पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किया गया था

बेरोजगारी की समस्या से मजबूर बीई,एमबीए डिग्रीधारी बेचेंगे शराब
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सारंगढ़ ! आज से शराब की नयी नीति के तहत सरकारी तंत्र की देखरेख में शराब बेचने की प्रक्रिया शुरू हो रही है इसके लिए क्षेत्र के लगभग दो सौ पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किया गया था जिसके लिए लगभग बारह सौ आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे जिसमें से भर्ती की प्रक्रिया भी पूर्ण कर लिया गया है तथा इस भर्ती की प्रक्रिया में ऐसी जानकारी मिली है की एमबीए और बीई डिग्रीधारियों ने भी आवेदन किया था जिनमें से कुछ आज से शराब दुकानों में नजर भी आएगें इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं की बेरोजगारी की समष्या किस हद तक बढ चूकी है की एक इंजीनीयर या मैनेजर पद की योग्यता रखने वाला अभ्यर्थी एक शराब दुकान में विक्रेता या अन्य पदों के लिए आवेदन कर रहा है जबकि सरकार विकास के बडे बडे नगाडे बजा रही है वहीं कई पदों पर भर्ती करने के कुछ ही महीनों बाद ही वित्त विभाग की अनुमति ना मिलने या अन्य अडंगा लगाकर भर्ती को ही निरस्त किया जा चुका।
इसी प्रक्रार का अन्याय छत्तीसगढ़ शासन द्वारा नागरिक आपूर्ति निगम की संविदा कनिष्ठ तकनीकी सहायक या क्यू आई की भर्ती प्रक्रिया में किया गया था जिसमें शासन स्तर पर विगत दो वर्ष पूर्व विधिवत विज्ञापन जारी करके परीक्षा लिया गया था तथा पूरे प्रदेश में बाईस संविदा कनिष्ठ तकनीकी सहायक या क्यू आई की भर्ती कर दिया गया तथा सम्बंधित अभ्यर्थियों की पदस्थापना के कुछ महीनों में ही यह भर्ती वित्त विभाग द्वारा अनुमति नहीं मिल पाने की बात कहकर भर्ती को ही निरस्त कर दिया गया था जिससे इस पूरी प्रक्रिया में अपनी योग्यता के आधार पर भर्ती हुए छात्र फिर से बेरोजगार हो गए तथा कुछ को प्लेसमेंट एंजेंसी के माध्यम से शोषणपूर्ण पुन: रोजगार मिला जिसमें इन बेरोजगारों के माध्यम से प्लेसमेंट एजेंसियां लाखों कमा चूकी हैं तथा बाद में ये प्रक्रिया भी बंद कर दिया गया जिससे कई पात्र और योग्य छात्र फिर से बेरोजगार हो गए। बेरोजगारी की यह समस्या अब तो हमारे छत्तीसगढ़ प्रदेश में भी विकराल रूप लेने लगी है कई क्षेत्रों से मजदूर काम के अभाव में दूसरे प्रदेशों में भटक रहे हैं और कई तो बंधक बन चुके हैं।


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