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विकास से कोसों दूर सारगढ़

सारंगढ को शहर कहने में भी आज झिझक महसूश होती है क्योंकि आज सारंगढ की स्थिति किसी ग्रामीण क्षेत्र से भी बदतर नजर आती है

विकास से कोसों दूर सारगढ़
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सारंगढ़। सारंगढ को शहर कहने में भी आज झिझक महसूस होती है क्योंकि आज सारंगढ की स्थिति किसी ग्रामीण क्षेत्र से भी बदतर नजर आती है।

किसी भी सडक में चले जाएं तो ऐसा लगेगा की धूल से गुबार और गढ्ढों से भरे सडकों पर जा रहे हों वहीं स्टाफ की कमी कहे चाहे मैनेजमेंट की कमी शहर की सफाई व्यवस्था भी पूर्णतरू सही नहीं कही जा सकती है क्योंकि नगर के अधिकतर मुख्य जगहें कचरे से भरी नजर आती हैं जिसका मुख्य कारण एक ही बार सुबह सफाई होना तथि कचरों का यत्र.तत्र फेंका जाना भी नजर आता है कई नागरिकों जिनमें नानकून गली के अग्रवाल ने बताया की उनकी गली में विगत दो सप्ताह से सफाई नहीं हुयी है वहीं मच्छर मारने का किसी प्रकार का उपाय नगर पालिका द्वारा नहीं किए जाने के कारण ये मच्छर दिन दहाडे भी अपना दंश छोडकर नागरिकों को बीमार कर रहे हैं।

एसारंगढ के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रसूति की उचित व्यवस्था नहीं होने तथा बच्चों के विशेषज्ञ डाक्टर नहीं होने के कारण मजबूरन जच्चा.बच्चा को आसपास के निजि चिकित्सालयों में भटककर कई कई बार ठगी का शिकार भी होना पड रहा है और यहां के अस्पताल में एम्बूलेंस और 108 वाहन की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण वाहन की व्यवस्था करते तक कई मरीजों की जान भी चली जाती है जबकि मुख्यमंत्री ने सिविल अस्पताल और जिले का वायदा किया था परन्तु स्थानीय जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता के कारण लगता है कि मुख्यमंत्री जानबूझकर सारंगढवासियों से किए उक्त वायदों को भूलते जा रहें हैं क्योंकि उनको उक्त वायदे के बारे में दबंगता से बात करने वाला सारंगढ में कोई नेता नजर नहीं आता। बिजली के क्षेत्र में भी देखें तो सारंगढ ग्रामीण सर्किल में जिसमें कभी भी कटौती किया जा सकता है जो की समय समय पर हो भी रहा है।

जिसकी उचित जानकारी लिए बिना इसका ठिकरा किसी अन्य के सर पर फोडना गलत है। उक्त समी विषयों को देखते हुए तो यही सार निकाला जा सकता है की पुराने समय की तुलना किया जाय तो सारंगढ की स्थिति आज से काफी हद तक बेहतर कही जा सकती है क्योंकि उस समय सारंगढ सबसे व्यापक ससंदीय क्षेत्र और हाईकोर्ट का दर्जा प्राप्त था जिसे आज नगर पालिका और विधानसभा रहने के लिए भी संघर्ष करना पड रहा है जिसके लिए काफी हद तक कद्दावर जनप्रतिनिधियों की सुतुप्तता को ही दोषी माना जा सकता है।

सुलग रही आगरू.जिले और अस्पताल मामले में सारंगढ की उपेक्षा की आग धीरे धीरे सुलग रही है तथा यदि आगामी चुनावों के पूर्व सारंगढवासियों को अपना जायज हक प्राप्त नहीं हुआ तो इसका परिणाम चुनावों में जनप्रतिनिधियों को भुगतना पड सकता है।


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