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जामिया में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर संस्कृत विभाग ने किया वेबिनार का आयोजन

जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्कृत विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में 'वर्तमान स्वास्थ्य-अनारोग्यम, तस्य च परम्परागतोपाया' पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया

जामिया में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर संस्कृत विभाग ने किया वेबिनार का आयोजन
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नई दिल्ली। जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्कृत विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में 'वर्तमान स्वास्थ्य-अनारोग्यम, तस्य च परम्परागतोपाया' पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। जामिया की कुलपति, प्रोफेसर नजमा अख्तर कार्यक्रम की मुख्य अथिति रहीं। वेबिनार के प्रायोगिक सत्र में जामिया के खेल एवं क्रीड़ा विभाग के निदेशक, प्रोफेसर खालिद मोईन ने 'अष्टांगयोग' के महत्व पर प्रकाश डाला। संस्कृत विभाग की योग प्रशिक्षिका ने योग के महत्व को समझाते हुए प्रदर्शन के द्वारा उसकी व्यावहारिक जानकारी दी। जामिया के स्कूली बच्चों के साथ-साथ जामिया के संकाय सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने इसका भरपूर लाभ उठाया।

कुलपति, प्रोफेसर नजमा अख्तर ने योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भारत में उसकी प्राचीन उत्पत्ति से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का श्रेय हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। कोरोना महामारी के समय में योग और आयुर्वेद की उपयोगिता पर भी उन्होंने प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि योग से न केवल कई बीमारियों का निदान संभव है, बल्कि इससे कई मानसिक विकारों जैसे-तनाव, घबराहट, चिंता, अवसाद आदि पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है। योग का उद्देश्य समग्र जीवन का विकास करना है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. नाजिम हुसैन अल-जाफरी, कुलसचिव ने कहा कि वर्तमान में योग की उपयोगिता और भी बढ़ गई है, इसलिए हमें इसे दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर असदुद्दीन डीन, मानविकी एवं भाषा संकाय, जामिइ ने योग के महत्व का विस्तार से विवेचन किया।

व्याख्यान सत्र में प्रोफेसर उश्विंदर कौर पोपली, सामाजिक विज्ञानं संकाय, ने योग के द्वारा शारीरिक, मानसिक और वैचारिक उन्नति की चर्चा की और कहा कि कोरोना कल में इसके तमाम उदाहरन देखे जा सकते हैं, जिससे लोगों को महामारी से उबरने में सफलता मिल सकी है।

कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के धर्म, दर्शन एवं संस्कृत विभाग के संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर मधुसूदन पेन्ना ने पीपीटी के माध्यम से योग, व्यायाम, आसन, प्राणायाम, ध्यान आदि पर प्रकाश डाला।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं डीन प्रोफेसर राजेश्वर मिश्र ने वैदिक उद्धरणों के माध्यम से स्वास्थ्य विकार में सुधार, वैदिक चिकित्सा पद्वति एवं ऋतुचर्या का विशेष रूप से विश्लेषण किया।

कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. धनञ्जयमणि त्रिपाठी ने किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. असदुद्दीन डीन, मानविकी एवं भाषा संकाय, जामिइ ने की तथा डॉ. नाजिम हुसैन अल-जाफरी, कुलसचिव विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।


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