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टिकट ना मिलने से खफा संजय निरुपम ने कांग्रेस पर जमकर बोला हमला

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद संजय निरूपम ने बुधवार को अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सवालों के कठघरे में खड़ा किया

टिकट ना मिलने से खफा संजय निरुपम ने कांग्रेस पर जमकर बोला हमला
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मुंबई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद संजय निरूपम ने बुधवार को अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सवालों के कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कांग्रेस पर महाविकास अघाड़ी सरकार के समक्ष नतमस्तक होने का आरोप लगाया। बता दें कि मौजूदा वक्त में महाविकास अघाड़ी का नेतृत्व शिवसेना प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा किया जा रहा है।

बुधवार को उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 16 उम्मीदवारों की सूची जारी की जिसमें मुंबई नॉर्थ वेस्ट भी शामिल था। दरअसल, इस सीट से संजय निरुपम चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन शिवसेना ने अब यहां से आमोल जी कार्तिकेर को चुनावी मैदान में उतार दिया है, जिन पर बृन्मुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में खिचड़ी घोटाले के आरोप लगे हैं। आमोल जी कीर्तिकर शिवसेना सांसद गजानन कीर्तिकर के बेटे हैं। शिवसेना के इस कदम ने उसके सहयोगी दल कांग्रेस और एनसीपी को भी अचंभित कर दिया है।

निरुपम ने कहा, "मैं ऐसे खिचड़ी चोर को बिल्कुल भी सपोर्ट नहीं करूंगा। यूबीटी द्वारा उसे कांग्रेस पर एकतरफा थोपने का प्रयास किया गया। हमें उम्मीद है कि (कांग्रेस) - जो भ्रष्टाचार के प्रति 'उच्च नैतिक आधार' अपनाती है - दागी उम्मीदवार (अमोल कीर्तिकर) के खिलाफ ठाकरे के समक्ष अपना कड़ा विरोध दर्ज कराएगी।"

बिना नाम लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले और पार्टी की मुंबई प्रमुख वर्षा गायकवाड़ पर परोक्ष हमला बोलते हुए निरुपम ने कहा कि पार्टी ने शहर, राज्य और देश भर में अपने लाखों कार्यकर्ताओं को छोड़ दिया है।

निरुपम ने कहा, "ऐसा लगता ह कि शीर्ष नेतृत्व को अपने कार्यकर्ताओं की चिंता नहीं है। कांग्रेस समाज के सभी लोगों के लिए इंसाफ की बात करती है, लेकिन अपने ही कार्यकर्ताओं पर अन्याय करती है। अब बहुत हो चुका। अब ऐसा नहीं चलेगा। अब यह मेरे लिए अहम कदम है।"

उन्होंने आगे कहा, "मुंबई नॉर्थ वेस्ट से अमोल कीर्तिकर को चुनावी मैदान में उतारकर शिवसेना ने कांग्रेस के लिए चुनौतियां पैदा कर दी हैं। हां...इस स्थिति ने हम पर दबाव डालने का प्रयास किया है, जो कि निंदनीय है, लेकिन जिस तरह से उद्धव की शिवसेना ने कांग्रेस की सीट छीनी है, उस पर अब तक पार्टी ने कोई विरोध दर्ज नहीं कराया है। हमारे शीर्ष नेतृत्व मुंबई, सांगली सहित अन्य सीटों को भी बचा पाने में नाकाम रहे।"

उन्होंने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे के इस कदम से प्रतीत होता है कि वह प्रदेश में कांग्रेस को पूरी तरह से खत्म करना चाहते हैं, वो भी ऐसी जगहों पर जहां पहले पार्टी का दबदबा हुआ करता था।

वहीं, विद्रोह का झंडा बुलंद करते हुए संजय निरुपम ने कहा, "हमने बहुत धैर्य रखा, लेकिन अब नहीं। मुझे उम्मीद थी कि मुंबई नॉर्थ वेस्ट से मुझे चुनावी मैदान में उतारा जाएगा। यहां से मैं चुनाव लड़ने के लिए तैयार था। मेरे लिए सभी विकल्प खुला था। अब मैं आगामी दिनों में अपने अगले कदम के बारे में खुलासा करूंगा।"

संजय निरुपम के अलावा दूसरे वरिष्ठ नेताओं ने भी शिवसेना के इस कदम पर अपनी आपत्ति जताई, जिसमें बाला साहेब थोराट का भी नाम शामिल है।

शिवसेना को गठबंधन के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। हालांकि, अभी समय है, तो हमें उम्मीद है कि इस पर पुनर्विचार किया जा सकता है। वहीं, थोराट को लॉन्च किया गया, क्योंकि मामला दिल्ली में केंद्रीय पार्टी नेतृत्व तक पहुंचा।

उसी तरह, सीट बंटवारे को लेकर सौहार्दपूर्ण तरीके से बातचीत पूरी होने के बाद शिवसेना द्वारा 16 उम्मीदवारों को घोषित किए जाने के बाद एनसीपी ने भी अपनी ओर से आपत्ति जताई।


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