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संघ प्रमुख ने सद्भावना के लिए सेवा के पथ पर आगे बढ़ने का आह्वान किया

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि भारत तभी विश्वगुरु बनेगा जब पूरा देश परिपूर्ण और स्वस्थ होगा

संघ प्रमुख ने सद्भावना के लिए सेवा के पथ पर आगे बढ़ने का आह्वान किया
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जयपुर। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि भारत तभी विश्वगुरु बनेगा जब पूरा देश परिपूर्ण और स्वस्थ होगा। मोहन भागवत ने कहा कि हमें सेवा भाव का पालन करते हुए समाज के हर अंग को मजबूत और पूरे विश्व को एक परिवार बनाना है। यह तभी संभव है जब सेवा का कार्य समाज व्यापी अभियान बने। हमें ऐसा प्रयास करना है।

मोहन भागवत ने यहां जामडोली के केशव विद्यापीठ में आरएसएस से संबद्ध राष्ट्रीय सेवा भारती के तीन दिवसीय सेवा संगम के उद्घाटन समारोह में यह बात कही।

भागवत ने आगे कहा कि लोगों को अपनी चुनौतियों और समस्याओं को खत्म कर पूरी दुनिया के सामने भक्ति, ज्ञान और कर्म की मिसाल पेश करनी चाहिए। साथ ही सेवा करने वाले सज्जनों को एक समूह के रूप में एक साथ चलना चाहिए। इससे हम अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि सेवा की भावना संवेदनशील होती है। उन्होंने जी-20 की चल रही बैठकों का जिक्र करते हुए कहा कि करुणा अंतरराष्ट्रीय संबंधों का भी आधार होना चाहिए।

आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि हमारा अंतिम उद्देश्य सेवा के माध्यम से सभी को अपने जैसा बनाना होना चाहिए। इसी भावना से समाज का हर वर्ग आत्मनिर्भर होगा और देश में कोई भी पिछड़ा या कमजोर नहीं रहेगा।

पीरामल ग्रुप के चेयरमैन अजय पीरामल ने कहा कि उनकी संस्था भी भगवद गीता पर आधारित सेवा कार्यों में लगी हुई है। उन्होंने संत रहीम का एक दोहा भी उद्धृत किया।

संत बालयोगी उमेश नाथ महाराज ने सेवा कार्यों के साथ-साथ सामाजिक समरसता पर जोर देते हुए कहा कि हमें अपनी सनातन परंपरा को आगे बढ़ाकर वंचित समाज को अपने करीब लाना है।

इससे पूर्व उद्योगपति नरसीराम कुलारिया ने स्वागत भाषण दिया। धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय सेवा भारती के अध्यक्ष पन्नालाल भंसाली ने किया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा भारती की महासचिव रेणु पाठक ने किया।

इस अवसर पर अतिथियों ने सेवा साधना पत्रिका का शुभारंभ किया। आरएसएस के नेता दत्तात्रेय होसबोले, सुरेश 'भैयाजी' जोशी, मुकुंद सी.आर., महामंडलेश्वर परमहंस स्वामी महेश्वरानंद और विश्व जागृति मिशन के संस्थापक आचार्य सुधांशु महाराज सहित प्रमुख संत और सेवा कार्यों से जुड़े लोग मौजूद थे।


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