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सज्जाद लोन हुए आजाद, सोज की नजरबंदी से मचा है बवाल, महबूबा के प्रति कोई खबर नहीं

कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज की नजरबंदी को लेकर मचे बवाल के बीच प्रशासन ने पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन को रिहा कर दिया है।

सज्जाद लोन हुए आजाद, सोज की नजरबंदी से मचा है बवाल, महबूबा के प्रति कोई खबर नहीं
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जम्मू । कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज की नजरबंदी को लेकर मचे बवाल के बीच प्रशासन ने पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन को रिहा कर दिया है। हालांकि अभी तक पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को बड़ा खतरा मानते हुए प्रशासन उनकी रिहाई नहीं करना चाहता।

पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन को एक साल बाद शुक्रवार को नजरबंदी से रिहा कर दिया है। पिछले साल पांच अगस्त को जब से कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था, तब से सज्जाद लोन राज्य के अन्य प्रमुख नेताओं जैसे ही नजरबंद किए गए थे। सज्जाद लोन ने रिहा होने के बाद इसकी जानकारी ट्विटर पर दी।

सज्जाद लोन ने ट्वीट किया कि आखिरकार एक साल पूरा होने से ठीक पांच दिन पहले मुझे बताया गया है कि अब मैं आजाद हूं। कितना कुछ बदल गया है। ऐसा नहीं है कि जेल का अनुभव मेरे लिए नया था। पहले जेल जाता था तो शारीरिक शोषण बहुत होता था। इस बार गया तो दिमागी रूप से बहुत परेशान रहा। जल्द ही बहुत कुछ साझा करूंगा।

लोन की रिहाई के बाद जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि सुनकर अच्छा लगा कि सज्जाद लोन को अवैध नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है। उम्मीद है कि इसी तरह अवैध नजरबंदी में बंद दूसरे लोगों को भी रिहा किया जाएगा।

मोदी सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाने का एलान किया था। साथ ही जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में बांटने का फैसला लिया था। इसी के मद्देनजर कई नेताओं को हिरासत में लिया गया था। अब सज्जाद लोन को रिहा कर दिया गया है।

सज्जाद लोन को कश्मीर के प्रमुख राजनेताओं में से एक माना जाता है। वह पूर्व सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद और पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी कहे जाते हैं। लोन पूर्व में कश्मीर की हंदवाड़ा सीट से विधायक रह चुके हैं। साल 2014 में उन्होंने जम्मू कश्मीर में परोक्ष रूप से पीएम नरेंद्र मोदी का साथ भी दिया था। 2014 के विधानसभा चुनाव में लोन हंदवाड़ा से विधायक बने थे। लोन लंबे वक्त तक जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे के हिमायती रहे हैं।

इससे पहले बड़े नेताओं में फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को रिहा गया था। पर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अभी भी हिरासत में हैं क्योंकि प्रशासन उन्हें अभी भी शांति के लिए खतरा मानता है। विपक्षी पार्टियां सभी नेताओं को रिहा करने की मांग करती रही है।

इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रो सैफुद्दीन सोज की कथित नजरबंदी का मामला दिलचस्प हो गया है। प्रदेश प्रशासन ने बुधवार सर्वाेच्च न्यायालय में दावा किया था कि वह कहीं भी आने-जाने को स्वतंत्र हैं। पर वीरवार को सोज जब घर से बाहर निकले तो पुलिसकर्मियों ने घर में बंद कर दिया। इसका सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल हो गया। इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है। इस पर भी बवाल मचा हुआ है।

सोज को भी पांच अगस्त 2019 को कश्मीर में अन्य प्रमुख नेताओं के साथ हिरासत में लिया था और बाद घर में नजरबंद कर दिया। उनकी रिहाई के लिए पत्नी ने सर्वाेच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। गत बुधवार को सुनवाई में गृह विभाग के विशेष सचिव के हल्फनामे का संज्ञान लेते हुए अदालत ने याचिका का निरस्त कर दिया। सोज ने गत शाम ही सरकार के दावे का खंडन करते हुए कहा था कि मैं पांच अगस्त 2019 से अपने घर में बंद हूं, कहीं बाहर नहीं जा सकता।

--सुरेश एस डुग्गर--


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